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MVA को छोड़ BJP के साथ सरकार बना सकते थे उद्धव ठाकरे, ऐसे नहीं बनी बात...

कोंकण के सावंतवाड़ी से विधायक केसरकर ने मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए आगे दावा किया कि पिछले साल  ठाकरे और प्रधानमंत्री के बीच सकारात्मक बातचीत के बावजूद, बाद की घटनाओं में बदलाव आया.

06 Aug 2022, 08:44:36 PM (IST)

highlights

  • कोंकण के सावंतवाड़ी से विधायक दीपक केसरकर के बयान से मची खलबली
  • उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाने के हो गए थे राजी
  • एकनाथ शिंदे को हटाने की शर्त पर भाजपा के साथ आने को थे तैयार

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को एक महीने से ज्यादा हो गए हैं. अभी तक एकनाश शिंदे ने कैबिनेट का गठन नहीं किया है. मंत्रिमंडल के गठन में क्या बाधा आ रही है, किसी को सही से पता नहीं है. अटकलों और अफवाहों का दौर जारी है. ऐसा कहा जा रहा है कि शिवसेना गुट औऱ भाजपा के अधिकांश विधायक मंत्री बनना चाह रहे हैं. मंत्रिमंडल के साथ ही शिवसेना के दोनों गुटों में अपने को असली शिवसेना साबित करने की लड़ाई भी चल रही है. मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग में पहुंच गया है.
 
इस बीच  एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के प्रवक्ता एवं विधायक दीपक केसरकर ने शुक्रवार को एक दावा कर सबको चौंका दिया है. उन्होंने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नारायण राणे ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद आदित्य ठाकरे को 'बदनाम' किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस 'मानहानि' को रोकने के बाद, कथित तौर पर  उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में इस्तीफा देने के लिए तैयार थे और भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करने के लिए तैयार थे.

कोंकण के सावंतवाड़ी से विधायक केसरकर ने मुंबई में पत्रकारों से बात करते हुए आगे दावा किया कि पिछले साल  ठाकरे और प्रधानमंत्री के बीच सकारात्मक बातचीत के बावजूद, बाद की घटनाओं में बदलाव आया. बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के समय  राणे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आदित्य ठाकरे पर कई आरोप लगाए. उस समय ठाकरे परिवार आहत था, उस समय, मैंने कई भाजपा नेताओं से पूछा था जिनके साथ मैं संपर्क में था कि पार्टी राणे को इस तरह बदनाम करने की कैसे अनुमति दे सकती है. केसरकर ने कहा, शिवसेना के विधायक इस बात से नाराज थे कि आदित्य ठाकरे के रूप में उज्ज्वल राजनीतिक भविष्य वाले एक युवा के साथ ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए.

इसके बाद केसरकर के मुताबिक उन्होंने प्रधानमंत्री से बात करने की कोशिश की, जिन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और जाहिर तौर पर आदित्य ठाकरे को किसी भी तरह से बदनाम करने पर  रोक लगा दिया. हमें पीएम मोदी से अच्छी प्रतिक्रिया मिली. उन्होंने उद्धव ठाकरे से बात की.हालांकि यह सब, मैंने महसूस किया कि बालासाहेब ठाकरे और ठाकरे परिवार के लिए पीएम का कितना स्नेह है. 

केसरकर ने दावा किया कि इस बातचीत का परिणाम यह था कि उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट रूप से त्रिपक्षीय एमवीए के सीएम के रूप में इस्तीफा देने और अपने भगवा साथी - भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करने का मन बना लिया था.

“दिल्ली में पीएम के साथ उनकी मुलाकात के बाद, मुझे यह समझ में आया कि ठाकरे अगले 15 दिनों के भीतर इस्तीफा देने की योजना बना रहे हैं. लेकिन वह अपने कदम से पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करना चाहते थे. दुर्भाग्य से, उस समय एमवीए द्वारा विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों को निलंबित कर दिया गया था. तब नारायण राणे को भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया और उद्धव ठाकरे और पीएम के बीच बातचीत बंद हो गई.” 

केसरकर ने कहा कि शिंदे के शिवसेना के अधिकांश विधायकों के साथ टूटने के बाद, ठाकरे भाजपा पर गठबंधन पर विचार करने के लिए तैयार थे, इस शर्त पर कि शिंदे को दरकिनार कर दिया जाए- लेकिन इस पर न तो भाजपा नेतृत्व और न ही 'विद्रोही विधायक' की तरफ से कोई जवाब आया.

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आदित्य ठाकरे के प्रति केसरकर की 'नरम' टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब युवा सेना नेता महाराष्ट्र का दौरा कर रहे हैं और बागी विधायकों के खिलाफ कड़ा रुख अपना रहे हैं, उन्हें 'देशद्रोही' करार दे रहे हैं, जिनके लिए ठाकरे परिवार ने उनसे अधिक स्नेह दिखाया था जिसके वे हकदार थे. एकनाथ शिंदे के तख्तापलट के बाद उद्धव ठाकरे विद्रोहियों को जवाब देने में असमर्थ साबित हुए हैं. उनके पुत्र आदित्य ठाकरे आक्रामक रूप से सड़कों पर उतरकर शिवसेना समर्थकों पर ठाकरे परिवार की पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दोनों गुट पार्टी के नियंत्रण को लेकर कानूनी लड़ाई में उलझे हुए हैं.