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'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के मुद्दे पर कांग्रेस एकमत नहीं, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष ने की PM के मन की बात

उन्होंने कहा, भारत की 70 साल की चुनावी यात्रा ने हमें सिखाया है कि भारतीय मतदाता राज्य और केंद्रीय चुनावों में अंतर कर सकता है.

News Nation Bureau
| Edited By :
19 Jun 2019, 06:59:54 PM (IST)

नई दिल्ली:

मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा ने प्रधानमंत्री मोदी की 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर ताजा बयान जारी कर समर्थन की बात कही है. उन्होंने कहा, भारत की 70 साल की चुनावी यात्रा ने हमें सिखाया है कि भारतीय मतदाता राज्य और केंद्रीय चुनावों में अंतर कर सकता है. उन्होंने कहा, हमारा लोकतंत्र न तो नाजुक है और न ही अपरिपक्व है यहां पर किसी मसले पर बाद विवाद पर बहस की पूरी गुंजाइश है. भले ही वह मसला 'एक देश-एक चुनाव' का हो या किसी और का.

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इसके साथ ही ओडिशा के सीएम और बीजद प्रमुख, नवीन पटनायक ने  अपना एक ताजा बयान जारी कर 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' का समर्थन करने की बात कही है. उन्होंने कहा कि, "हमारी पार्टी 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के विचार का समर्थन करती है." बता दें देश में एक बार फिर से नरेंद्र मोदी सरकार की वापसी के बाद 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' (One Nation One Election) पर बहस छिड़ चुकी है. इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सभी दलों के प्रमुखों की बैठक बुलाई है.

क्या है एक देश, एक चुनाव

'एक देश, एक चुनाव' की नीति के तहत देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का प्रस्ताव है. इसके तहत पूरे देश में 5 साल में एक ही बार में लोकसभा और विधानसभा चुनाव होगा. इसपर केंद्र सरकार का कहना है कि इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि देश को बार-बार पड़ने वाले आर्थिक बोझ से भी मुक्ति मिलेगी. हालांकि पूरी बहस लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए हो रही है. नगरीय निकाय चुनावों के बारे में कुछ नहीं कहा जा रहा है, जहां तक धन की बात है तो आजकल छात्रसंघ चुनावों में भी लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं.

पहले भी हो चुके हैं एक साथ चुनाव

अगर 'एक देश, एक चुनाव' के फैसले को मंजूरी मिलती है तो यह पहला मौका नहीं होगा जब भारत में ऐसा होगा. इससे पहले भी भारत में कई बार एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. इससे पहले इससे पहले 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हो चुके हैं.

इंडोनेशिया में भी इसी साल हुए साथ-साथ चुनाव

वर्ष 2019 में इंडोनेशिया में भी राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव एक साथ कराए गए थे. इसके लिए 17 हजार द्वीपों पर 8 लाख से ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे.