उपचुनाव के नतीज़ों क्यों गदगद हुए शिवराज, कहा- भाजपा के लिए बड़ी जीत
एमपी में भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे अच्छी खबर लाये हैं, खंडवा लोकसभा के साथ ही जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है.
नई दिल्ली:
एमपी में भाजपा के लिए उपचुनाव के नतीजे अच्छी खबर लाये हैं, खंडवा लोकसभा के साथ ही जोबट और पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की है. भाजपा के लिए यह एक जीत है, लेकिन सीएम शिवराज के लिए यह एक व्यक्तिगत उपलब्धि की तरह है औऱ यह नतीजों पर सीएम की प्रतिक्रिया में भी नज़र आया. यूं शिवराज सिंह चौहान एमपी में पूर्ण बहुमत वाली सरकार के मुखिया हैं और उपचुनाव की हारजीत से उन्हें कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला था, लेकिन जिन हालातों में एमपी में 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा की 2020 में सत्ता में मिड टर्म वापसी हुई, उस लिहाज़ से देखें तो शिवराज सिंह चौहान के लिए यह उपचुनाव न सिर्फ चुनौती थे बल्कि व्यक्तिगत तौर पर बेहद अहम भी थे.
खंडवा लोकसभा सीट औऱ रैगांव की विधानसभा सीट भाजपा के पास पहले से थी, लेकिन जोबट और पृथ्वीपुर की सीट कांग्रेस की परंपरागत सीटें मानी जाती थीं. इस पूरे उपचुनाव में शिवराज की मेहनत और ग्राउंड ज़ीरो पर सक्रियता लोगों को चौंका भी रही थी. उपचुनाव के प्रचार के दौरान और उसके पहले भी शिवराज लगातार सक्रिय रहे. सीटों के समीकरणों को ध्यान में रखकर रणनीतिक फैसले भी लिए, भले ही वो सरकार के स्तर पर नीतिगत निर्णय हों या फिर राजनीतिक ज़मीन मजबूत करने के लिए दूसरी पार्टियों में सेंधमारी वाले फैसले शिवराज हर मोर्चे पर आगे रहे और नतीजों में उनके इन फैसलों की कामयाबी भी नजर आई. जोबट की आदिवासी सीट पर चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस की पूर्व विधायक सुलोचना रावत को पार्टी में शामिल कराया और पृथ्वीपुर में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके शिशुपाल यादव को टिकट दिलाया. शिवराज के इस दांव से भाजपा ने कांग्रेस के मजबूत गढ़ में उसे पटखनी दे दी. शिवराज सिंह चौहान ने अकेले पृथ्वीपुर में 8 चुनावी सभाएं कीं, जोबट में आदिवासियों के बीच रात गुजारी और अपनेपन का एहसास कराया. खंडवा में भी ओबीसी कार्ड खेलकर लोकसभा की अपनी सीट सहजता से बचा ली.
जोबट सीट जीतने के बाद शिवराज की प्रतिक्रिया से जाहिर है कि उनके लिए यह जीत कितने मायने रखती है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था और 29 में से 28 सीटें हासिल की थीं, इस लहर में भी जोबट विधानसभा से बीजेपी 18 हज़ार वोटों से पिछड़ गई थी, उपचुनाव की जीत के बाद शिवराज ने इस तथ्य का भी जिक्र किया. पृथ्वीपुर में भी बीजेपी नेता सुनील नायक की हत्या के बाद हुए चुनाव में उनकी पत्नी को जीत मिली थी, इसके अलावा इस सीट पर हमेशा कांग्रेस का ही दबदबा रहा, लेकिन इस बार उपचुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस को पछाड़ दिया.
अब बात शिवराज सिंह चौहान की व्यक्तिगत उपलब्धि की, क्योंकि चौथी बार में शिवराज ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने के बाद बने थे, 28 उपचुनाव में सिंधिया समर्थक विधायकों के बूते बीजेपी बहुमत में आयी, लेकिन शिवराज सिंह चौहान ने अपने प्रयासों से भी कांग्रेस के कई विधायकों को अपने खेमें में शामिल किया औऱ उपचुनाव में जिताया भी , इसके बाद अब अगर अंदरूनी तौर पर देखें तो बीजेपी की सरकार सिंधिया समर्थक विधायकों के बिना भी बहुमत में है. इसका मतलब ये हुआ कि अब सीएम शिवराज अपने ऊपर कब दबाव भी महसूस कर रहे होंगे औऱ 2023 के चुनाव में में उनकी स्थिति मार्च 2020 के मुकाबले ज्यादा बेहतर होगी.