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भाजपा और कांग्रेस ने 12 जिलों में किया जीत का दावा

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों के परिणाम सामने आने के बाद जीत के दावे को लेकर सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस में घमासान प्रारंभ हो गया है. सबसे रोचक यह है कि प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं जिनमें दोनों ही दल अपने को जीता बता रहे हैं.

16 Jul 2022, 05:59:50 PM (IST)

भोपाल:

मध्य प्रदेश में पंचायत चुनावों के परिणाम सामने आने के बाद जीत के दावे को लेकर सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस में घमासान प्रारंभ हो गया है. सबसे रोचक यह है कि प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिले ऐसे हैं जिनमें दोनों ही दल अपने को जीता बता रहे हैं. मुरैना, श्योपुर, भिण्ड, शिवपुरी, दमोह, पन्ना, छतरपुर, रीवा, उमरिया, कटनी, विदिशा, झाबुआ जिलों में भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपनी जीत का दावा किया है.

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व्हीडी शर्मा ने दावा किया है कि 52 जिलों में से 44 जिलों में भाजपा समर्थकों ने जीत दर्ज की है. कांग्रेस का दावा है कि जिला पंचायतों के 875 वार्डों में से कांग्रेस 386 में जीती है. भाजपा 360 और निर्दलीय 129 स्थानों पर जीते हैं. कांग्रेस का कहना है कि 31 जिलों में कांग्रेस को भाजपा से अधिक सीटें जिला पंचायत वार्डों में मिली हैं.

भाजपा ने अब निर्दलीयों और कांग्रेस के समर्थकों के दम पर ही जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने की जोड़ तोड़ लगाना प्रारंभ कर दिया है. यही कारण है कि भाजपा ने बड़े पैमानों में जिला पंचायत में उनके अध्यक्ष बनेंगे यह दावा किया है.

पंचायत चुनाव दलगत आधार पर नहीं होते हैं ऐसे में जीते हुए प्रत्याशियों को दोनों ही अपना बता रहे हैं. जीतकर आए कई प्रत्याशी भी अभी अपने आप को किसी दल से नहीं जोड़ रहे हैं. 27 और 28 जुलाई को जनपद अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष और 29 जुलाई को जिला अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का निर्वाचन होना है. ऐसे में अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही जोड़तोड़ प्रांरभ कर दी है.

कांग्रेस के पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल का कहना है कि कांग्रेस ने अधिकांश स्थानों पर जीत दर्ज की है. जिला पंचायत में कांग्रेस ने भाजपा से अधिक वार्ड जीते हैं ऐसे में भाजपा जनता केा धोखा देने के लिये प्रपंच रच रही है. पटेल का यह भी कहना है कि भाजपा नेता खरीद फरोख्त में लगे हुए हैं.

भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं. अब असली खेल अध्यक्ष बनाने का है. जिस दल का समर्थक अध्यक्ष बनेगा आने वाले समय में उसी का जिला पंचायत में वर्चस्व रहेगा. ऐसे में अब एक दूसरे के समर्थकों के साथ ही निर्दलीयों केा साधने का दौर प्रारंभ हो गया है.