ABVP से प्रदेश के गृह मंत्री तक का सफर...नरोत्तम मिश्रा कैसे बने राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी?
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. वह वर्तमान में दतिया से विधायक हैं और इस बार दतिया विधानसभा से चुनावी मैदान में हैं.
नई दिल्ली:
मध्य प्रदेश के दिग्गज नेता और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा अपने बेबाक अंदाज में बोलने के लिए जाने जाते हैं. देश-प्रदेश के किसी भी मुद्दे पर मजबूती से अपने विचार व्यक्त करते हैं. वह अपने बयानों से हर समय मीडिया में बने रहते हैं. वह राज्य में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं. वह दतिया से विधानसभा चुनाव लड़ते हैं और वर्तमान में दतिया से विधायक हैं. इस बार भी वह अपनी दतिया सीट से विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं. आज इस आर्टिकल में हम गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बारे में जानेंगे कि उनका राजनीतिक करियर कैसे शुरू हुआ.
कैसे शुरू हुआ राजनीतिक सफर?
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का जन्म 15 अप्रैल 1960 को हुआ था. बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संत कवर राम हायर सेकेंडरी स्कूल, ग्वालियर से पूरी की. इसके बाद वे कॉमर्स से ग्रेजुएट हुए. उन्होंने हिंदी विषय में मास्टर डिग्री ली और इसी विषय सो पीएचडी भी की. अगर हम उनके राजनीतिक सफर की बात करें तो वह 1977 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े और फिर भारतीय जन युवा मोर्चा से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया.
पहली बार मंत्री कब बने
उन्होंने पहली बार 1990 में डबरा सीट से विधान सभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद उन्होंने दोबारा उसी विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. इसके बाद वह दतिया विधानसभा से चुनाव लड़ने लगे. वहीं, साल 2005 में वह संसदीय कार्य मंत्री और कानून मंत्री बने. वह लगातार 2007 और 2008 में इसी पद पर रहें.
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राज्य के गृह मंत्री का कार्यभार कब संभाला?
उन्होंने 20 अप्रैल 2020 को मध्य प्रदेश सरकार के गृह मामलों और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री के रूप में शपथ ली. कैबिनेट फेरबदल के बाद, उन्हें गृह मंत्रालय बरकरार रखते हुए कानून और विधायी मामलों, जेल और संसदीय मामलों का मंत्री नियुक्त किया गया. अब देखना यह होगा कि दतिया की जनता इस बार किसे अपना आशीर्वाद देती है. दतिया विधानसभा सीट की बात करें तो यह क्षेत्र हिंदू बहुल है, जिसमें 2 लाख 13 हजार मतदाता हैं. इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा 27 हजार ब्राह्मण और 27 हजार कुशवाह मतदाता हैं. इसके बाद इस इलाके में यादव और राजपूत समुदाय के करीब 14-15 हजार वोटर हैं.