बदलते समय के साथ बदला कपड़ों का बाजार, पूजा के समय भी दर्जी भुखमरी के कगार पर
एक दशक पूर्व दुर्गा पूजा के 2 माह पहले से ही शहर के टेलर मास्टरों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं होती थी. मगर अब दुर्गा पूजा के मार्केट में ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं.
Dhanbad:
एक दशक पूर्व दुर्गा पूजा के 2 माह पहले से ही शहर के टेलर मास्टरों के पास सांस लेने तक की फुर्सत नहीं होती थी. मगर अब दुर्गा पूजा के मार्केट में ग्राहकों की बाट जोह रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि युवाओं का रेडीमेड कपड़ों की ओर आकर्षण. युवा वर्ग अब अपने कपड़े किसी दर्जी से सिलवाना पसंद नहीं करते. जींस, टी-शर्ट के साथ कई नए मॉडलों के कपड़े पहनना उन्हें ज्यादा पसंद है. टेलर मास्टरों के पास अब ऐसे लोगों की भीड़ नहीं लगती. झरिया के पुराने टेलर की दुकान के मालिक मोहम्मद फुरकान की माने तो पिछले पंद्रह सालों से दर्जी की दुकान चलाते आए हैं, लेकिन अब दुकानदारी 10 से 15 प्रतिशत पर ही सिमट गई है. उन्होंने बताया कि एक दौर था, जब दुर्गापूजा में ग्राहकों मे शर्ट पेंट, थ्री पीस, सफारी सिलवाने के लिए ग्राहकों की लंबी लाइन लगी होती थी, लेकिन समय गुजरता गया और बाजार मंदा होता चला गया.
आज पूजा के मार्केट में मात्र कुछ ही ग्राहक हैं, जो कपड़े सिलवाने के लिए दर्जी के दुकानों का रुख कर रहे हैं. हाल ऐसा बुरा है कि जहां पहले 12 से 15 कारीगर रखते थे, आज एक कारीगर को भी पैसे देने के लिए नहीं है. यदि ऐसा ही हालात रहा तो जल्द ही कई दुकानों में ताले लग जाएंगे. वहीं इन सब के बीच रेडीमेड दुकानदारों की बल्ले बल्ले है. क्यों की यहां तो ग्राहकों की भीड़ देखने को मिल रही है. बाबा गारमेंट के दुकानदार ने बताया कि टाइम और पैसे की बचत के कारण ही युवाओं में रेडीमेड कपड़े खरीदने का चलन बढ़ा है. बहरहाल, अब इन सभी चीजों को देख कर तो ऐसा ही लग रहा कि वो समय दूर नहीं, जब दर्जियों की दुकानें भी हमें इतिहास के पन्नो में दफन होते नजर आ जाएंगे.
रिपोर्टर- नीरज कुमार