झारखंड की बेटी ने किया कमाल, नेशनल गेम्स में कोमोलिका ने जीता रजत और कांस्य पदक
गुजरात में चल रहे नेशनल गेम्स में एक बार फिर झारखंड की बेटी ने कमाल कर दिखाया है, जहां कोमोलिका ने रजत और कांस्य पदक हासिल कर झारखंड का नाम रौशन किया है.
Jamshedpur:
गुजरात में चल रहे नेशनल गेम्स में एक बार फिर झारखंड की बेटी ने कमाल कर दिखाया है, जहां कोमोलिका ने रजत और कांस्य पदक हासिल कर झारखंड का नाम रौशन किया है. कोमोलिका के माता-पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी अब ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करें, लेकिन कोमोलिका का ये सफर आसान नहीं था. आर्थिक परेशानियां कई बार उसके सपनों के आड़े आई, लेकिन उसने सभी को मात देकर आज कोमोलिका प्रदेश का गौरव बन गई है.
जमशेदपुर की बेटी कोमोलिका पर आज पूरे प्रदेश को नाज है, लेकिन कोमोमिला का ये सफर आसान नहीं था. उसके पिता कभी चाय की दुकान पर तो कभी एलआइसी एजेंट का काम करते हैं. वहीं, उसकी मां भी पहले आंगनबाड़ी सेविका के तौर पर काम करती थी, लेकिन अभी वो घर पर ही है. लिहाजा मुश्किल से घर का गुजारा हो पाता है, लेकिन कोमोलिका के माता पिता ने इन परेशानियों को कभी उसके सपनों के आड़े नहीं आने दिया. पिता घनश्याम ने तो अपनी बेटी का सपना पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया और उन पैसों से उसके लिए तीर-धनुष ले आए. उनका सपना है कि उनकी बेटी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करें.
कोमोलिका बारी झारखंड के जमशेदपुर की रहने वाली हैं. उसने 2012 में ISWUP तीरंदाजी सेंटर से अपने करियर की शुरुआत की. तार कंपनी में 4 सालों तक मिनी, सब जूनियर वर्ग में शानदार प्रदर्शन किया. कोमोलिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला. यहां उसे पूर्णिमा महतो और धर्मेंद्र तिवारी जैसे दिग्गज प्रशिक्षक मिले. बीते चार सालों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं.
कोमोलिका की जी-तोड़ मेहनत और माता-पिता के संघर्ष का ही नतीजा है कि आज उसने पूरे देश में झारखंड का गौरव बढ़ा दिया है. माता-पिता भी अपनी बेटी पर फक्र कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि जल्द उनकी बेटी ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करेगी.
रिपोर्ट : रंजीत कुमार ओझा