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जाट आंदोलन 29 जनवरी से फिर होगा शुरू, सरकार ने की ये तैयारियां

जाट आंदोलन के मद्देनजर जिलों में प्रशासन सक्रिय हो गया है। हिसार में पैरामिलिट्री और हरियाणा पुलिस की मुस्तैदी कर दी गई हैं।

News Nation Bureau
| Edited By :
28 Jan 2017, 09:22:01 AM (IST)

highlights

  • जाटों ने 29 जनवरी से आंदोलन का ऐलान किया है।
  • हिसार में पैरामिलिट्री और हरियाणा पुलिस की पांच-पांच कंपनियां भेज दी गई हैं।
  • मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने पुलिस प्रशासन के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग कर तैयारियों का जायजा लिया।

नई दिल्ली:

हरियाणा में जाटों के आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। जाटों ने 29 जनवरी से आंदोलन का ऐलान किया है। सोनीपत में शुक्रवार को 35 खापों के नेता और हिसार में भी 8 खापों के नेता ने आंदोलन में शामिल होने का ऐलान किया है।

उनका कहना है कि वह आरक्षण पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। आंदोलनकारी पिछले जाट आंदोलन के केस वापस लेने और गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई की मांग कर रहे हैं।

पिछली बार रेलवे लाइन के पास आंदोलनकारियों के प्रदर्शन में भारी नुकसान हुआ था जिसको देखते हुए इस बार रेलवे ट्रैक के आसपास धरना-प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। हिसार में पैरामिलिट्री और हरियाणा पुलिस की पांच-पांच कंपनियां भेज दी गई हैं। पिछले साल हुए हिंसा को ध्यान में रखते हुए  रोहतक शहर में भी जगह-जगह नाकेबंदी कर दी गई है।मुख्य सचिव डीएस ढेसी ने पुलिस प्रशासन के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस मीटिंग कर तैयारियों का जायजा लिया। 

कई जाट संगठन अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक द्वारा 29 जनवरी से आंदोलन का विरोध कर रहे हैं। कई खापों ने महापंचायत कर मलिक का विरोध किया है। दूसरी ओर, रोहतक में जाट जागृति सेना ने आंदोलन शुरू कर दिया है। संगठन से जुड़े सदस्यों ने धरना शुरू कर दिया है।

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जाट जागृति सेना को मलिक गुट का विरोधी माना जाता है। संगठन के सदस्यों ने जाट आरक्षण के लिए धरना सुबह सेक्टर छह में शुरू किया। इसके लिए उन्होंने जिला प्रशासन से पहले ही अनुमति मांगी थी। जाट जागृति सेना की अगुवाई राहुल दादु कर रहे हैं। इस बार जाट आंदोलन मलिक गुट की तरफ से किया जा रहा है हालांकि इस आंदोलन को लेकर कुछ खाप-पंचायतों की तरफ से नकारात्मक प्रतिक्रियाएं आई है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, 'जाट आरक्षण के मुद्दे का राजनीतिकरण कर यशपाल मलिक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भला नहीं कर रहे हैं। मलिक को जाट आरक्षण के मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।'