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2011 में हाईकोर्ट ब्लास्ट में रेकी भी कर चुका संदिग्ध पाक आतंकी मोहम्मद अशरफ, पूछताछ में हुआ खुलासा

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के पुलिस सूत्रों का दावा है कि पकड़े गए पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकी मोहम्मद अशरफ ने साल 2011 में हाईकोर्ट के बाहर जो ब्लास्ट हुए थे उस दौरान हाईकोर्ट की रेकी की थी.   

News Nation Bureau
| Edited By :
13 Oct 2021, 02:45:02 PM (IST)

नई दिल्ली:

दिल्ली से गिरफ्तार किए गए पाकिस्तान के संदिग्ध आतंकी मोहम्मद अशरफ से पूछताछ में एक के बाद एक नए खुलासे हो रहे हैं. सूत्रों का दावा है कि साल 2011 में हाईकोर्ट के बाहर जो ब्लास्ट हुए थे उस दौरान इसने हाईकोर्ट की रेकी की थी. इसने पूछताछ में बताया कि इसने हाईकोर्ट की रेकी की थी. हालांकि, ये उस ब्लास्ट में शामिल था या नहीं, ये अभी पूछताछ में साफ होगा. मोहम्मद अशरफ ने पूछताछ में बताया कि उसने इंडिया गेट और लाल किले की भी रेकी की थी. पूछताछ में करीब ऐसी 10 जगहों की रेकी करने की बात कबूल की है. पूछताछ में ये भी बताया कि वो नई दिल्ली के वीआईपी इलाके को टारगेट नही करना चाहता था क्योंकि वहां कैजुअलिटी कम होती. ये सभी रेकी कई साल पहले करने की बात कर रहा है लेकिन अभी इसने कहा रेकी की, और कहा आतंकी वारदात को अंजाम देना चाहता था, वो नही बताया है. 

इसके अलावा, 2011 के आसपास इसने आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर (पुराने पुलिस हेडक्वार्टर ) की रेकी की थी. सूत्रों ने बताया कि अशरफ ने आईएसबीटी कश्मीरी गेट बस अड्डे की भी रेकी थी और कई जानकारियां पाकिस्तान के हैंडलर्स को भेजी थीं. फिलहाल ये दिल्ली के क्या किसी ब्लास्ट में शामिल रहा है, इसको लेकर जांच एजेंसियां इससे पूछताछ कर रही हैं. सूत्रों की मानें तो अशरफ ने दिल्ली में करीब 10 जगहों की रेकी की थी और जानकारियां पाकिस्तान हैंडलर्स को भेजीं. सूत्रों के मुताबिक, मोहम्मद अशरफ ने पुलिस को बताया कि वो जम्मू -श्मीर में जब था, तो वहां वो लगातार आर्मी के जवानों और उनकी गाड़ियों के मूवमेंट पर नजर रखता था. इस दौरान वो लगातार पकिस्ताम में अपने परिवार के संपर्क में रहता था. हर 6 महीने में अपना मोबाइन नंबर बदल लेता था, जिससे वो एजेंसियों के जाल में न फंस पाए. यहां तक कि वो अपने हैंडलर से संपर्क में आने के लिए ये मैसेज या वाट्सऐप पर भी बहुत ही कम जुड़ता था.

बिहार में सरपंच से बनवाई फर्जी आईडी
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी आतंकी ने पूछताछ में किया खुलासा. बिहार के एक गांव में सरपंच से बनवाई गई थी फर्जी आईडी. आतंकी जब पहली बार साल 2004 में पाकिस्तान से बांग्लादेश और कोलकाता होते हुए भारत में दाखिल हुआ था तो उसके बाद वह सीधे अजमेर शरीफ गया. यहां पर उसकी मुलाकात बिहार के कुछ लोगों से हुई. इसके बाद वह उनके साथ बिहार चला गया. बिहार में जाकर उसने एक गांव में शरण ली और वहां पर कुछ समय रहकर सरपंच का विश्वास जीता. सरपंच से कागज में लिखवा कर गांव का निवासी होने की आइडेंटिटी बनवाई. पूरे मामले की जांच की जा रही है.