Delhi Riots : व्हाट्सएप समूहों में रची गई साजिश में कुछ विरोध के स्वर भी थे
आरोपपत्र के अनुसार, आरोपी अतहर के अलावा, बैठक में गुलफिशा, नताशा, दवांगना, सलीम मलिक और कुछ अन्य शामिल हुए थे. बैठक में ओवैस सुल्तान को नहीं बुलाया गया था
नई दिल्ली:
दिल्ली में कथित साजिश के बाद हुई हिंसा के बारे में कहा जाता है कि यह कई लोगों का समन्वित प्रयास था. केस में दाखिल आरोपपत्र इस तथ्य को रेखांकित भी करते हैं कि समूहों के अंदर भी विरोध के स्वर उठते थे. हिंसा के विरुद्ध इन आवाजों को हालांकि तब दबा दिया गया था. आरोपपत्र में शामिल एक आरोपी के बयान के अनुसार, 16-17 फरवरी की मध्यरात्रि को चांद बाग में एक खुफिया बैठक बुलाई गई थी. यह बैठक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आने की पुष्टि होने के बाद तय की गई थी.
आरोपपत्र के अनुसार, आरोपी अतहर के अलावा, बैठक में गुलफिशा, नताशा, दवांगना, सलीम मलिक और कुछ अन्य शामिल हुए थे. बैठक में ओवैस सुल्तान को नहीं बुलाया गया था, लेकिन वह इसमें शामिल हुआ. बैठक में शामिल लोगों का मानना था कि सरकार को झुकाना है और इसके लिए वह कुछ भी करने के लिए तैयार थे.
अतहर के बयान के अनुसार, जब बैठक जारी थी, गुलिफिशा ने कहा कि प्रदर्शन को अगले स्तर तक ले जाने का यह सही समय है और दिल्ली में चक्का जाम की रणनीतिक अपनाई जाएगी. उसने कहा था कि पहले चक्का जाम होगा और फिर इसे हिंसक प्रदर्शन के स्तर तक ले जाया जाएगा.
इसका विरोध करते हुए, ओवैस सुल्तान ने कहा था कि इससे लोगों को समस्या होगी और हिंसा और दंगे भड़क सकते हैं. वहीं एक दूसरे व्यक्ति ने कहा कि 'थोड़ी बहुत हिसा तो चलती है.' यह भी निर्णय किया गया कि प्रदर्शनकारियों को लाल मिर्च पाउडर, छड़ी, पत्थर रखने के लिए कहा जाए, ताकि वे इसे हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकें. सुल्तान ने इसका विरोध किया था, लेकिन सभी ने इसे नकार दिया.
आरोपपत्र के अनुसार, सुल्तान ने डीपीएसजी व्हाट्सएप ग्रुप में एक बार फिर इनसब चीजों को विरोध किया, लेकिन फिर से इसे नकार दिया गया. दिल्ली हिंसा के लिए कथित साजिश के बारे में दावा है कि इसे 10 व्हाट्सग्रुप के माध्यम से रचा गया, जिसमें जेएनयू के मुस्लिम छात्र, जामिया कोर्डिनेशन समिति (जेसीसी), दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप (डीपीएसजी) के व्हाट्सअप ग्रप शामिल है.