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प्रदूषण के ऊंचे स्तर के कारण हो सकता है अस्थमा और हार्ट फेलियर: AIIMS

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि प्रदूषण के ऊंचे स्तर के कारण लोगों को कार्डियोरेस्पिरेटरी (दिला और सीने की) बीमारियां हो सकती हैं।

News Nation Bureau
| Edited By :
08 Nov 2017, 10:40:06 PM (IST)

नई दिल्ली:

देश की राजधानी क्षेत्र (NCR) इन दिनों गैस का चैंबर बना हुआ है। पूरा NCR स्मॉग के घेरे में नजर आ रहा है। दिल्ली में स्मॉग के कारण बिगड़ते हालात पर एम्स के डायरेक्टर ने इसे जानलेवा बताते हुए घातक बताया है। 

एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि प्रदूषण के ऊंचे स्तर के कारण लोगों को कार्डियोरेस्पिरेटरी (दिला और सीने की) बीमारियां हो सकती हैं। इससे सांस लेने में तकलीफ, कफ, सीने में जकड़न, अस्थमा और हार्ट फेलियर भी हो सकता है।

बता दे कि पिछले 48 घंटे से दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर अत्याधिक बढ़ा हुआ है और इसे देखते हुए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए है। 

High levels of pollution leading to high chances of people with Cardiorespiratory diseases, this can further lead to increased emergency visits and higher deaths: AIIMS Director Randeep Guleria #DelhiPollution pic.twitter.com/7yWohn8L8c

— ANI (@ANI) November 8, 2017

'स्मॉग' स्मोक और फॉग से मिलकर बना है। स्मॉग खतरनाक गैसों और कोहरे से मिलकर बनता है। इसका बुरा असर आपके स्वास्थ्य पर पड़ सकता है।

स्मॉग से होने वाली समस्याएं

स्मॉग की वजह से खांसी, स्किन संबंधी रोग, नाक, कान, गले और फेफड़े में इंफेक्शन, दमा के रोगियों को अटैक, आंखों में जलन और बाल झड़ने की समस्या हो सकती है।

कैसे बनता है स्मॉग?

गाड़ियों और फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं में मौजूद राख, सल्फर, कार्बन डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन जैसी गैसें जब कोहरे के संपर्क में आती है तो स्मॉग बनता है। गर्मियों में स्मॉग ऊपर चला जाता है, लेकिन ठंड में ऐसा नहीं होता है।

धुएं और धुंध का जहरीला मिश्रण सांस के साथ शरीर के अंदर पहुंचने लगता है, जो काफी खतरनाक है। तेज हवा और बारिश के बाद ही स्मॉग का असर खत्म होता है।

जानलेवा हो सकता है स्माॅग, होती है ये समस्याएं

  • स्मॉग से फेफड़े और सांस से जुड़ी गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है।
  • खांसी, जुकाम और सीने में दर्द की समस्या।
  • 2 साल के बड़े बच्चों में अस्थमा की बीमारी बढ़ी है।
  • रिपोर्ट की मानें तो देश की राजधानी दिल्ली में 10 में 4 बच्चे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की चपेट में हैं।
  • 15 साल से छोटे बच्चे ब्रोनकाइटिस बीमारी की चपेट में इसके कारण आ सकते हैं।
  • स्मॉग से स्किन संबंधी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • अस्थमा के रोगियों को अटैक पड़ने का खतरा स्मॉग से बना रहता है।
  • स्मॉग से बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
  • ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक आने का खतरा स्मॉग से बना रहता है।

अस्थमा या अन्य श्वास संबंधी समस्या से जूझ रहे लोगों को स्मॉग से बचाव की जरूरत है। जिस इलाके की हवा अधिक प्रदूषित है तो घर के अंदर ही रहने की कोशिश करें और अगर बाहर जाना जरूरी है तो पूरी सतर्कता का पालन करें।

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

अगर आपको अचानक सांस लेने में तकलीफ हो रही हो, या फिर आंखों में किसी तरह की जलन हो तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इसे अनदेखा (इग्नोर) करना आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे मौसम में डॉक्टर की सलाह लेते रहें।

मास्क और चश्में का करें इस्तेमाल

इस जहरीले स्मॉग से बचने के लिए आप मास्क का प्रयोग करें। इसके साथ ही आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का प्रयोग कर सकते हैं। एंटी-इन्फ्लमेट्री आई ड्रॉप का उपयोग करें। डॉक्टरों के कहे अनुसार आंखों को साफ पानी से धोएं और उन्हें रगड़े या खुजलाएं नहीं।  बच्चों को स्मॉग से बचने के लिए मॉस्क पहनाएं।  अगर वे घर से बाहर जा रहे हैं तो बिना मॉस्क के न जाएं। 

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