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कांग्रेस-राजद में बढ़ रही तल्खी, महागठबंधन में टूट है तय

महागठबंधन के दोनों घटक दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच तल्खी भी बढ़ती जा रही है, जिससे महागठबंधन में टूट के कयास लगाए जाने लगे हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Oct 2021, 02:05:09 PM (IST)

highlights

  • उपचुनाव के प्रत्याशियों से पैदा हुई दरार
  • कांग्रेस-राजद ने उतारे अपने-अपने प्रत्याशी
  • तल्खी और बढ़ने से महागठबंधन में टूट तय

पटना:

बिहार में दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में महागठबंधन में फूट तो पड़ ही गई है. अब महागठबंधन के दोनों घटक दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के बीच तल्खी भी बढ़ती जा रही है, जिससे महागठबंधन में टूट के कयास लगाए जाने लगे हैं. बिहार में कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव में दोनों पार्टियां अकेले चुनाव मैदान में उतरी हैं. राजद ने पहले ही दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, जिससे कांग्रेस नाराज हो गई और उसने भी दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए. इसके बाद दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच हो रही बयानबाजी के बाद ऐसा लगने लगा है कि उपचुनाव के बाद दोनों पार्टियों की राह अलग हो जाएगी.

वैसे देखा जाए तो कन्हैया कुमार के कांग्रेस में आने के बाद ही राजद की नाराजगी बढ गई थी. इस बीच कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्तचरण दास के राजद के किसी अन्य पार्टी के साथ समझौता करने के बयान ने आग में घी का काम किया. दास ने अपने बयान में राजद और भाजपा के बीच गठबंधन का इशारा किया था. दास के इस बयान के बाद राजद के नेता मनोज झा ने कांग्रेस प्रभारी पर पलटवार करने में देर नहीं की. उन्होंने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कह दिया कि ड्राइंग रूम में बैठकर राजनीति नहीं होती. इससे जमीनी हकीकत नहीं समझ सकते. उन्होंने यहां तक कह दिया कि हमने जितना गठबंधन धर्म निभाया है, उतना कोई पार्टी नहीं निभा सकता. उन्होंने यहां तक कह दिया कि प्रभार लेने का मतलब यह नहीं कि पार्टी की लुटिया ही डूबा दें.

इधर अखिल भारतीय युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन कुमार कहते है कि दोनों दलों के नेताओं को ऐसी बयानबाजी से परहेज करना चाहिए. उन्होंने कहा कि महागठबंधन बिहार को सांप्रदायिक शक्तियों से मुक्त कराने के लिए बना है, जो कार्य अभी भी शेष है. उन्होंने कहा कि ऐसी बयानबाजी से दोनों दलों को नुकसान होगा. उन्होंने मात्र एक सीट के लिए महागठबंधन में फूट को दुर्भाग्यपूर्ण बताया. इधर भाजपा इस स्थिति में चुटकी ले रही है. भाजपा के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि राजद और कांग्रेस एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं, दोनों परिवारवादी पार्टियां है. दोनों पार्टियां राजनीति का आडंबर रच कर परिवार का वजूद बचाने की फिराक में हैं. दोनों दल एक-दूसरे को नीचा दिखाने में लगी हुई है, जबकि हकीकत है कि दोनों समय समय पर एक दूसरे से बदला चुकाने की फिराक में रहते हैं. 

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने संसद में कागज फाड़ कर लालू प्रसाद को जेल तक पहुंचाया अब कांग्रेस कन्हैया को पार्टी में लाकर तेजस्वी को निपटाने में लगी है. ऐसे में ये दोनों पार्टियां एक-दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं. इधर राजद के प्रवक्ता चितरंजन गगन कहते हैं कि राजद को किसी से सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है. कांग्रेस के नेता के बयान से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राजद को लोग जानते हैं. बहरहाल महागठबंधन के दोनों प्रमुख घटक दलों के नेताओं की बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है, जिससे दोनों के रिश्ते कमजोर हो रहे हैं. ऐसे में उपचुनाव के बाद महागठबंधन में टूट के भी कयास लगाए जाने लगे हैं.