10 प्वाइंट्स में जानिए कैसा रहा जेडीयू नेता शरद यादव का राजनीतिक करियर
बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में नीतीश कुमार के सरकार बनाने के फैसले से नाराज शरद यादव का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है। आइए नजर डालते हैं उनके अब तक के राजनीतिक करियर पर
नई दिल्ली:
बिहार में बदले राजनीतिक समीकरण के बाद से ही जेडीयू में नीतीश और शरद यादव के बीच रिस्तों का समीकरण भी बदल रहा है। ऐसा लग रहा है कि जल्द शरद यादव जे़ीयू को विदा कह सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो नीतीश और शरद यादव का वर्षों का साथ टूट जाएगा। बीजेपी के साथ मिलकर बिहार में नीतीश कुमार के सरकार बनाने के फैसले से नाराज शरद यादव का राजनीतिक सफर कापी लंबा रहा है। आइए नजर डालते हैं उनके अब तक के राजनीतिक करियर पर
1- शरद यादव के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1971 में उस वक्त हुई जब वह जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने।
2- छात्र नेता के तौर पर ही उन्होंने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू कराने में अहम भूमिका निभाई।
3- सबसे बड़ी कामयाबी तब मिली जब पहली बार 1974 में वे मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।
4- जेपी आंदोलन में हिस्सा लिया। हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे।
5- 1977 में मध्यप्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव जीते।
और पढ़ें: नीतीश कुमार-शरद यादव अब कितने दूर कितने पास, क्या दोनों होंगे अलग
6- 1986 में वे राज्यसभा से सांसद चुने गए। 1989 में यूपी की बदायूं से लोकसभा चुनाव जीते।
7- 1989-1990 में टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे। 1991 से 2014 तक बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रहे।1997 में उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
8- 1999 को उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार तो 2001 को केंद्रीय श्रम मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री बने।
9-2004 में राज्यसभा से दूसरी बार सांसद बने और गृह मंत्रालय के अलावा कई कमेटियों के सदस्य रहे।
10-2014 के लोकसभा चुनावों में उन्हें मधेपुरा सीट पर हार का सामना करना पड़ा।
और पढ़ें: मुंबई में सड़क पर उतरे लाखों मराठा, शिक्षा और नौकरी में आरक्षण की मांग