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बिहार सरकार ने छिपाए कोरोना से मौत के आंकड़े! हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

बिहार में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. नीतीश सरकार पर मौत के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगा है.  इस कृत्य के लिए पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को कई बार फटकार लगाई है.

News Nation Bureau
| Edited By :
10 Jun 2021, 10:26:23 AM (IST)

पटना:

बिहार में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. नीतीश सरकार पर मौत के आंकड़े छिपाए जाने का आरोप लगा है.  इस कृत्य के लिए पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को कई बार फटकार लगाई है. राजधानी से लेकर राज्य के अन्य जिलों में भी कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा दबाकर रखा गया था. 17 मई को हाईकोर्ट की फटकार के बाद 18 मई को टीम बनाकर नए सिरे से आकलन शुरू हुआ था. राज्य में मौत के आंकड़ों में गड़बड़ी को लेकर बिहार के स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बुधवार को बताया कि अब तक मौतों का जो आंकड़ा 5424 बताया गया था, वो गलत है जबकि असली आंकड़ा 9375 (7 जून तक) है.

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हाईकोर्ट की फटकारक के बाद बिहार सरकार ने इस मामले पर जांच के लिए टीम गठित की थी.  राज्य में मौत के आंकड़ों का सच का पता लगाने के लिए दो तरह की टीमें बनाई गई थी. इसी जांच रिपोर्ट में ये भारी लापरवाही सामने आई है.

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिलों में कराई गई जांच से पता चला कि कोरोना से मौत के आंकड़ों में घोर अनियमितता बरती गई. प्रत्यय अमृत ने माना कि इस संवेदनशील मामले में काफी असंवेदनशीलता की गई है. उन्होंने ऐसी लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने की बात तो कही.

स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि कई सारे लोगों की मौत होम आइसोलेश में हुई. काफी लोग संक्रमित होने के बाद दूसरे जिलों में चले गए, जहां उनकी मौत हो गई. कुछ लोगों की मौत अस्पताल जाने के क्रम में हुई, तो कुछ मौतें पोस्ट कोविड भी हुई. इस कारण मौतों का सही आंकड़ा नहीं मिल पाया.

वहीं बता दें कि पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य सरकार से कोरोना की तीसरी संभावित लहर से बचाव से लिए योजना के बारे में सवाल पूछे हैं. इस दौरान अदालत ने राज्य सरकार को लिक्विड ऑक्सिजन के लिए भंडारण सुविधाएं बनाने और ऑक्सिजन परिवहन के लिए पर्याप्त क्रायोजेनिक टैंकर खरीदने में विफल रहने के लिए भी फटकार लगाई.

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने जनहित याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को इन मुद्दों के समाधान के लिए राज्य सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा.