भारत के लिए गोल्डमनी एशियन शतरंज टूर में गोल्ड जीतने का सुनहरा मौका
भारत अगले मेल्टवॉटर चैंपियंस शतरंज टूर इवेंट में अपना दबदबा बनाने को तैयार है. इस इवेंट में चार बेहतरीन युवा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं जहां भारत के पास गोल्ड जीतने का सुनहरा अवसर होगा.
नई दिल्ली :
भारत अगले मेल्टवॉटर चैंपियंस शतरंज टूर इवेंट में अपना दबदबा बनाने को तैयार है. इस इवेंट में चार बेहतरीन युवा खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं जहां भारत के पास गोल्ड जीतने का सुनहरा अवसर होगा. गोल्डमनी एशियन रैपिड में 100,000 डॉलर (लगभग 74 लाख) की पुरस्कार राशि होगी. यह प्ले मैग्नस ग्रुप द्वारा आयोजित ऑनलाइन शतरंज के प्रतिष्ठित एटीपी-स्टाइल सीजन का सातवां चरण ह. ग्रैंडमास्टर विदित गुजराती और अधिबान भास्करन के साथ भारत के दो सबसे प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी गुकेश डी और अर्जुन एरिगैसी ने इसके लिए क्वालीफाई किया है या उन्हें वाइल्ड कार्ड एंट्री दी गई है.
प्रतियोगिता में भारत के चार खिलाड़ियों को आमंत्रित किया जाना गर्व की बात है, क्योंकि अब तक इस टूर पर किसी भी अन्य देश के इतने खिलाड़ियों को आमंत्रित नहीं किया गया है. गोल्डमनी एशियन रैपिड एक 16-खिलाड़ियों की ऑनलाइन रैपिड शतरंज प्रतियोगिता है जिसकी शुरूआत 26 जून से होगी और यह प्रतियोगिता नौ दिनों तक चलेगी. विश्व चैंपियन और वर्तमान टूर लीडर मैग्नस कार्लसन और शीर्ष एशियाई प्रतिभाएं अपने खेल का प्रदर्शन करेंगे. लेकिन सभी की निगाहें चेन्नई के 15 साल के गुकेश डी पर होंगी, जिन्होंने हाल ही में गेलफैंड चैलेंज टूर्नामेंट जीतने के बाद क्वालीफाई किया था. वह पहली बार मेल्टवाटर चैंपियंस शतरंज टूर के रैपिड शतरंज फॉर्मेट में कार्लसन से मुकाबला करेंगे. नासिक में जन्मे विदित गुजराती, भारत के नंबर तीन खिलाड़ी हैं और भारतीय शतरंज पसंद करने वालों के बीच इनकी काफी अच्छी फैन फॉलोइंग है। 17 साल के एरिगैसी भी टॉप लेवल पर कामयाबी हासिल करने की उम्मीद कर रहे होंगे और भास्करन अपनी आक्रामक शैली का प्रदर्शन करना चाहेंगे जिसके कारण उन्हें 'द बीस्ट' उपनाम दिया गया है.
इसके अलावा दुनिया की नंबर 1 महिला खिलाड़ी, चीन की होउ यिफान टूर में हिस्सा लेने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन जाएंगी और सालेह सलेम यूएई के पहले खिलाड़ी बन जाएंगे. टूर्नामेंट की थीम 'शतरंज के सुनहरे पल' होगी. गोल्डमनी के सीईओ रॉय सेबबाग ने कहा, शतरंज बहुत ही शानदार खेल है जो इंसान में पाई जाने वाली स्किल्स, इच्छा और अक्लमंदी को व्यक्त करता है. यह खेल सैंकड़ों साल से खेला जाता रहा है और अपनी अमिट विरासत और परंपरा को साथ लेकर आगे बढ़ रहा है.