ICC ने श्रीलंका के पूर्व कप्तान पर लगाया भ्रष्टाचार का आरोप, सनथ जयसूर्या बोले- मैंने हमेशा दिया सच्चाई का साथ
इस मामले में उन्हें दो सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है. हालांकि उन पर भ्रष्टाचार में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप नहीं लगा है.
नई दिल्ली:
श्रीलंका के पूर्व कप्तान और महान बल्लेबाज सनथ जयसूर्या ने आईसीसी की ओर से भ्रष्टाचार मामले की जांच में साथ नहीं देने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने खुद को हमेशा सच्चाई और पारदर्शिता के साथ पेश किया है. आईसीसी ने जयसूर्या पर भ्रष्टाचार निरोधक संहिता को तोड़ने के 2 मामले दर्ज किए हैं, जिसमें उन पर जांच में सहयोग नहीं करने का आरोप है.
इस मामले में उन्हें दो सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है. हालांकि उन पर भ्रष्टाचार में सीधे तौर पर शामिल होने का आरोप नहीं लगा है.
जयसूर्या ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'मेरे पास इस मामले में जवाब देने के लिए 14 दिन का समय हैं. मुझे कानूनी तौर पर सलाह दी गई है कि मैं इस मामले में कोई भी प्रतिक्रिया ना दूं क्योंकि उससे आईसीसी के नियमों का उल्लंघन होगा.'
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उन्होंने कहा, 'मैं हालांकि यह बता सकता हूं कि मुझ पर जो आरोप लगे हैं वह मैच फिक्सिंग, पिच फिक्सिंग या ऐसी किसी अन्य गतिविधियों से जुड़े नहीं है. खेल से जुड़े मामलो में मैंने हमेशा सच्चाई और पारदर्शिता से पेश आया हूं और आगे भी ऐसा ही करता रहूंगा.'
गौरतलब है कि आईसीसी ने भी अपने आरोप में यह साफ नहीं किया कि इस खिलाड़ी पर क्या आरोप हैं.
बता दें कि सनथ जयसूर्या ने श्री लंका को वर्ल्ड कप का खिताब दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी और अपने देश के लिए 445 एकदिवसीय तथा 110 टेस्ट मैचों में प्रतिनिधित्व भी किया है.
श्री लंका क्रिकेट से जुड़े एक सूत्र ने कहा, 'जयसूर्या पर 2015 में आईसीसी की एक जांच को 'रोकने की कोशिश' का आरोप है.'
इस मामले की जांच में गॉल मैदान के क्यूरेटर जयनंदा वर्णवीरा को 2016 में आईसीसी ने भष्टाचार रोधी इकाई से सहयोग नहीं करने के आरोप में 3 साल के लिए निलंबित कर दिया था.
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सूत्र ने बताया कि आईसीसी ने इस मामले में जब जयसूर्या से संपर्क किया, तो उन्होंने पूरी तरह से जांच में सहयोग नहीं किया. ईएसपीनक्रिकइन्फो के मुताबिक, 2017 में श्री लंका का घरेलू सीरीज में जिम्बाब्वे के साथ हुआ मुकाबला संदेह के घेरे में है, जिसे श्री लंका हार गया था.
क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद जयसूर्या ने राजनीति में भी हाथ आजमाया और संसद के लिए चुने जाने के बाद मंत्री भी बने. वह 2013 में श्री लंका क्रिकेट के चयन समिति के अध्यक्ष भी बने लेकिन 2015 में टीम की असफलता के बाद उनका कार्यकाल खत्म हो गया.