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क्या अब खुलेगा सुभाष चंद्र बोस की मौत का राज? ताइवान ने दिए जांच के दिए आदेश

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत के रहस्य को सुलझाने के लिए एक बार फिर से ताइवान ने उनकी मौत के कारण का पता लगाने के आदेश दिए हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Jan 2022, 04:48:24 PM (IST)

highlights

  • देश आज महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को याद कर रहा है.
  • दस्तावेजों के अनुसार, सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 में एक विमान हादसे में हुई

ताइपे सिटी :

देश आज महान स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस (Freedom Fighter Subhash Chandra Bose) को याद कर रहा है. 23 जनवरी के दिन वर्ष 1897 में ओडिशा के कटक में उनका जन्म ​हुआ था. नेताजी का पूरा जीवन किसी फिल्मी कहानी की तरह है. उनकी मौत आज भी हर किसी के लिए एक रहस्य है. ताइवान ने एक  बार फिर नेताजी की मौत पर सवाल खड़े किए हैं. उसने राष्ट्रीय अभिलेखागार (national archives) को जांच करने के आदेश दिए हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नेताजी की मौत के बाद जापान की एक संस्था ने खबर जारी की थी. सुभाष चंद्र बोस का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था, इसकी वजह से उनकी मौत हो गई. किसी देश की संस्था से ऐसा बयान आने पर इस हादसे को सच माना जा सकता था. मगर कुछ ही दिन बाद जापान सरकार ने कहा था कि ताइवान में उस दिन कोई विमान हादसा नहीं हुआ. इस बयान के कारण संशय और बढ़ गया. 

लापता हो गया था नेताजी का विमान

हालांकि, भारतीय दस्तावेजों के मुताबिक, सुभाष चंद्र बोस की मौत 18 अगस्त 1945 में एक विमान हादसे में हुई. माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस जिस विमान से यात्रा कर रहे थे. वह रास्ते में लापता हो गया. उनके विमान के लापता होने से ही कई सवाल खड़े हो गए कि क्या विमान दुर्घटनाग्रस्त हुआ था? क्या सुभाष चंद्र बोस की मौत एक हादसा थी या हत्या?  बता दें कि ताइवान, जो 1940 के दशक में जापान के कब्जे में था, वह आखिरी देश था, जिसने नेताजी को जीवित देखा था. जबकि आम सहमति है कि 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी.

जानें-क्यों रहस्य बनी है मौत  

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुभाष चंद्र बोस की मौत इसलिए भी रहस्य बनी हुई है, क्योंकि उस समय जवाहर लाल नेहरू ने बोस के परिवार की जासूसी कराई थी. इस मामले पर आईबी की दो फाइलें सामने आ चुकी है, इसके बाद विवाद सामने आया. इन फाइलों के मुताबिक, आजाद भारत में करीब दो दशक तक आईबी ने नेताजी के परिवार की जासूसी की. कई लेखकों ने इसके पीछे तर्क दिया कि तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को भी सुभाष चंद्र बोस की मौत पर यकीन नहीं था, इसलिए वह बोस परिवार को ​लिखे पत्रों की जांच करवाते रहे ताकि अगर कोई नेताजी के परिवार से संपर्क साधे तो पता चल सके.