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शुक्रवार को संसद में मोदी सरकार की पहली बार होगी अग्निपरीक्षा, अविश्वास प्रस्ताव मंजूर

संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

News Nation Bureau
| Edited By :
18 Jul 2018, 03:09:57 PM (IST)

नई दिल्ली:

संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी पार्टियों के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

केंद्र सरकार के खिलाफ इस अविश्वास प्रस्ताव को सदन में पहली बार स्वीकार किया गया है।

लोकसभा स्पीकर ने दोनों पार्टियों की तरफ से पेश नोटिस को स्वीकार करते हुए चर्चा के लिए मंजूरी दी है। अविश्वास प्रस्ताव पर लोकसभा में शुक्रवार को चर्चा होगी।

सुमित्रा महाजन ने कहा, 'शुक्रवार (20 जुलाई) को पूरा दिन अविश्वास प्रस्ताव के लिए होगा, वोटिंग भी उसी दिन होगी। उस दिन प्रश्न काल को नहीं रखा जाएगा।'

लोकसभा स्पीकर ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव देने वाले सभी विपक्षी सदस्यों का नाम लिया और कहा कि टीडीपी सांसद केसीनेनी श्रीनिवास इस प्रस्ताव को लाएंगे क्योंकि लॉटरी में उनका नाम आया था।

आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा नहीं दिए जाने के कारण मार्च में एनडीए से अलग होने वाली टीडीपी ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और सदन के जीरो आवर में टीडीपी सांसद के अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने को लोकसभा स्पीकर ने स्वीकार कर लिया।

संसदीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है और आसानी से जीत दर्ज करेगी क्योंकि सदन में दो तिहाई बहुमत है।

क्या है सदन में स्थिति

लोकसभा स्पीकर के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की स्वीकृति के बाद मोदी सरकार को अपने चार साल के कार्यकाल के अंतिम साल में पहली बार निम्न सदन में फ्लोर टेस्ट से गुजरना पड़ेगा और बहुमत साबित करनी होगी।

हालांकि 545 सदस्यों वाली लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने गठबंधन को छोड़कर अब भी अकेले 273 सीटों के साथ बहुमत में है। इसलिए पार्टी के लिए बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

वहीं बीजेपी की सहयोगियों के साथ एनडीए के पास कुल 310 सीटें हैं जो बहुमत से कहीं अधिक है।

इससे पहले संसद के बजट सत्र में भी सरकार के खिलाफ टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लायी थी लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया था।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए किसी भी दल को कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।

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