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अनुच्छेद 370 को खत्म हुए दो साल पूरे, जानें जम्मू-कश्मीर में क्या हुए ये बड़े बदलाव

Jammu-Kashmir Without Article 370: जम्मू कश्मीर में धारा-370 को खत्म हुए दो साल पूरे हो चुके हैं. कई राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दोबारा दिलाने के लिए काम कर रहे हैं.  

News Nation Bureau
| Edited By :
05 Aug 2021, 11:30:07 AM (IST)

श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) से अनुच्छेद 370 और 35(A) को समाप्त हुए पूरे दो साल पूरे हो गए हैं. 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म किया गया था. इसके बाद राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- लद्दाख (Ladakh) और जम्मू और कश्मीर में बांटा गया था. संविधान के इन्हीं हिस्सों के चलते जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा मिला था और अपने मूल निवासी नियम तय करने का अधिकार प्राप्त था. दो साल बीच जाने के बाद भी सियासी उथल-पुथल खत्म नहीं हुई है. कई राजनीतिक दल जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान जम्मू कश्मीर में ये बड़े बदलाव भी हुए हैं. 

भारत का झंडा लहराया: अब अनुच्छेद 370 हटने के बाद श्रीनगर के शासकीय सचिवालय में भारतीय तिरंगा लहराया गया. जबकि, इस दौरान राज्य का अपना ध्वज गायब था.

पत्थरबाजों के लिए नियम सख्त: केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 31 जुलाई को आदेश जारी किया कि पत्थरबाजों पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं ले सकेंगे. जम्मू-कश्मीर पुलिस की सीआईडी विंग ने पत्थरबाजी या विध्वंस में शामिल लोगों को पासपोर्ट और सरकारी सेवाओं के लिए सिक्युरिटी क्लियरेंस देने से मना कर दिया है.

बाहर के लोग भी खरीद सकते हैं जमीन: पिछले साल अक्टूबर में केंद्र सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए अन्य राज्यों में रहने वाले लोगों के लिए भी जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता तैयार कर दिया. सरकार की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश में जमीन विक्रय से जुड़े जम्मू-कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 से वह वाक्य हटा दिया था, जिसमें राज्य के स्थाई रहवासी की बात की गई थी. हालांकि, इस संशोधन के बाद भी कुछ मामलों के छोड़कर सरकार ने कृषि भूमि को गैर किसानों को दिए जाने की अनुमति नहीं दी है.

स्थानीय महिलाओं के पति भी बन सकते हैं मूल निवासी:  इसी साल जुलाई में बड़ा बदलाव किया गया है. जम्मू-कश्मीर के बाहर अन्य राज्यों में शादी करने वाली महिलाओं के पति भी मूल निवासी प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे. इसके चलते वे यहां संपत्ति भी खरीद सकेंगे या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन दे सकेंगे. अभी जम्मू कश्मीर में 15 सालों तक रहने वाले या सात साल तक पढ़ाई करने और क्षेत्र की 10वीं या 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले लोग और उनके बच्चे भी मूल निवासी का दर्ज हासिल कर सकेंगे.