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जानें अपने अधिकार: मकान मालिक नहीं काट सकता है किराएदार के घर की बिजली और पानी

मकान मालिक बिना किराएदार की अनुमति के अंदर उसकी प्रॉपर्टी में प्रवेश नहीं कर सकता है। साथ ही किसी भी सूरत में किराएदार की बिजली और पानी बंद नहीं कर सकता है।

29 Nov 2017, 11:18:33 PM (IST)

highlights

  • किराएदारों को मकान किराए पर लेने पर निजता का अधिकार भी मिलता है
  • मकान मालिक किसी भी सूरत में किराएदार की बिजली और पानी बंद नहीं कर सकता है

नई दिल्ली:

भारत में आम तौर पर देखा जाता है कि मकान मालिक अपने किराएदारों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। आए दिन मकान मालिकों के मनमाने रवैये और नाजायज किराये की मांग से किराएदार शोषण का शिकार होते हैं।

यह इसलिए भी होता है क्योंकि किराएदार अपने हक को ही नहीं जानते हैं। दरअसल जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे के मकान को तय राशि का भुगतान कर एक तय समयअवधि के लिए लेता है, तो वह किराएदार कहलाता है।

बता दें कि कुछ मुख्य नियमों को छोड़कर सभी राज्यों में किराएदार के लिए अलग-अलग नियम बने हुए हैं, जिसके तहत उन्हें संरक्षण प्राप्त होते हैं।

किराएदारों को मकान किराए पर लेने पर निजता का अधिकार भी मिलता है। इसका मतलब है कि मकान मालिक बिना किराएदार की अनुमति के अंदर उसकी प्रॉपर्टी में प्रवेश नहीं कर सकता है।

मकान मालिक नहीं कर सकता बिजली और पानी बंद

किराएदार द्वारा किराया नहीं देने पर या लेट देने या किसी और कारण से मकान मालिक अक्सर बिजली और पानी काट देने की धमकी देते हैं, जबकि यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। मकान मालिक किसी भी सूरत में किराएदार की बिजली और पानी बंद नहीं कर सकता है।

किराए पर लेने से पहले जानें घर की स्थिति

किसी भी किराएदार को कोई भी प्रॉपर्टी किराए पर लेने से पहले उसकी पूरी स्थिति को जानने का हक होता है। अगर मकान मालिक किसी तरह की गलत जानकारी देकर आपको धोखा देता है तो आप कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।

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एग्रीमेंट है सबसे जरूरी

किसी भी प्रॉपर्टी को लेने से पहले एग्रीमेंट जरूर करना चाहिए। एग्रीमेंट दो तरह के होते हैं इन्हें पहले जानिए इसके बाद ही आप एग्रीमेंट करवाएं।

लीज एग्रीमेंट- इस तरह के एग्रीमेंट में प्रतिबंधात्मक किराया नियंत्रण कानून के तहत किराएदारों और मकान मालिकों के हक की सुरक्षा की जाती है। इसमें किराए की राशि विधायी या न्यायिक सरकार द्वारा तय किया जाता है।

लीज और लाइसेंस एग्रीमेंट- यह लीज एग्रीमेंट से पूरी तरह से अलग है। इस तरह का एग्रीमेंट पूरी तरह से मकान मालिक और किराएदार की आपसी समझौतों पर निर्भर करता है। इस तरह के एग्रीमेंट में किराएदारी का एग्रीमेंट 11 महीने के लिए होता है।

जानिए मकान किराए से लेने से पहले क्या जानना है जरूरी...

  • किराएदारी एग्रीमेंट की एक कॉपी रखने का अधिकार
  • भरपाई का अधिकार: मकान मालिक से किराएदार मकान में कोई भी टूट-फूट को ठीक कराने पैसे ले सकता है
  • लीज एग्रीमेंट के खत्म होने पर मकान मालिक को किराएदार के लिए डिपॉजिट मनी को वापस करना ही होता है।

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