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मांकडिंगः हंगामा क्यों है बरपा दीप्ति के चार्ली डीन को रन ऑउट करने पर

1947 में दूसरी बार भी गेंद फेंकने से पहले जब बिल ने क्रीज छोड़ी तो वीनू मांकड़ ने वही किया, जो शनिवार को दीप्ति शर्मा ने किया था. उसके बाद ही इस तरह से रन ऑउट करने को 'मांकडिंग' करार दिया जाने लगा.

25 Sep 2022, 07:25:43 PM (IST)

highlights

  • वीनू मांकड़ के नाम पर पड़ा रन ऑउट की मांकडिंग स्थिति का नाम
  • 1947 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वीनू मांकड़ की भी हुई थी आलोचना
  • क्रिकेट के नियमों के संरक्षक एमसीसी क्लब ने भी सही ठहराया नियम

नई दिल्ली:

इंग्लैंड के खिलाफ झूलन गोस्वामी का यह आखिरी एकदिवसीय मैच था. झूलन के एकदिनी फॉर्मेट से संन्यास के ऐलान की वजह से भारत-इंग्लैंड एकदिवसीय श्रृंखला की चर्चा तीसरे वनडे से पहले से थी. ऐसे में भारत ने तीसरे एकदिवसीय मैच में इंग्लैंड को 16 रन से हराकर झूलन (Jhulan Goswami) को विदाई का शानदार तोहफा दिया. यह अलग बात है कि इंग्लैंड (England) का उसी के घर में क्लीन स्वीप और झूलन के संन्यास के बावजूद सोशल मीडिया या मीडिया की अन्य सुर्खियों में चर्चा ऑल राउंडर दीप्ति शर्मा (Deepti Sharma) की हो रही है. इसकी वजह बना है क्रिकेट का 'मांकडिंग (Mankading)' नियम, जिसकी बदौलत दीप्ति शर्मा ने नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़ी चार्ली डीन को रन ऑउट किया. इस रन ऑउट के बाद क्रिकेट समेत क्रिकेट के प्रशंसकों की दुनिया दो खेमों में बंट गई है. एक खेमा दीप्ति के 'मांकडिंग' रन ऑउट के पक्ष में है, तो दूसरा खेमा इसे क्रिकेट की भावना के विपरीत बताकर दीप्ति की आलोचना कर रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है 'मांकडिंग' नियम और इसका यह नाम कैसे पड़ा.

इस तरह दीप्ति ने इंग्लैड के मुंह से हार छीनी
पहले बात करते हैं लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे एक दिवसीय मैच की. भारत 2-0 से श्रृंखला पहले ही अपने नाम कर चुका था. बात थी इंग्लैड के खिलाफ उसके ही घर में क्लीन स्वीप करने की. मैच शुरू हुआ और भारत ने पहले खेलते हुए 169 रनों का लक्ष्य इंग्लैंड को दिया. भारतीय पारी के बाद बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड की टीम की स्थिति एक समय बेहद खराब थी. इंग्लैंड के सात बल्लेबाज 65 रनों के स्कोर पर पवेलियन वापस लौट चुके थे. ऐसे में बल्लेबाजी करने उतरी चार्ली डीन ने इंग्लैंड की पारी को संभाला. फिर भी इंग्लैंड के 9 खिलाड़ी 118 रनों के स्कोर पर खेत रहे थे. हालांकि दबाव की इस घड़ी में भी चार्ली डीन ने हिम्मत नहीं हारी. चार्ली डीन ने फ्रेया डेविस के साथ आखिरी विकेट के लिए 35 रनों की साझेदारी कर ली थी. ऐसा लग रहा था कि इंग्लैंड यह मैच भारत के जबड़ों से खींच लेगा, लेकिन क्रिकेट को अनिश्चताओं का खेल यूं ही नहीं कहा जाता. 44वें ओवर में दीप्ति शर्मा ने नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़ी चार्ली डीन को 'मांकडिंग' नियम के तहत ऑउट कर झूलन को जीत का विदाई तोहफा दिया. दीप्ती के गेंद फेंकने से पहले चीर्ली क्रीज छोड़ चुकी थीं और दीप्ति के हाथों में गेंद थी. बस उन्होंने चार्ली की गिल्लियां बिखेरने में देर नहीं लगाईं. इस तरह 16 रनों से भारत तीसरी एकदिनी जीत गया और इंग्लैंड का उसके ही घर में क्लीन स्वीप किया.

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ऐसे पड़ा 'मांकडिंग' नाम
यह अलग बात है कि दीप्ति के चार्ली को 'मांकडिंग' से रन ऑउट करने के बाद दो खेमे बन गए. एक दीप्ति का समर्थन कर रहा, तो दूसरा खेल भावना के विपरीत बता कर विरोध कर रहा है. अब समझते हैं कि 'मांकडिंग' है क्या? क्रिकेट से जुड़े इस नियम का नामकरण भारत के महान क्रिकेटर वीनू मांकड़ के नाम पर पड़ा है. 1947 में भारत ऑस्ट्रेलिया के घरेलू मैदान पर श्रृंखला खेल रहा था. गेंदबाजी करते हुए वीनू मांकड़ ने नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े विरोधी टीम के बल्लेबाज बिल ब्रॉउन को दो बार ऑउट किया. क्रिकेट की भावना के विपरीत जाकर बिल ब्रॉउन को ऑउट करने के लिए वीनू मांकड़ की आलोचना होनी लगी. हालांकि वीनू ने खेल भावना का परिचय देते हुए बिल ब्राउन को गेंद फेंकने से पहले क्रीज छोड़ने के लिए पहले एक चेतावनी दी थी. दूसरी बार भी गेंद फेंकने से पहले जब बिल ने क्रीज छोड़ी तो वीनू मांकड़ ने वही किया, जो शनिवार को दीप्ति शर्मा ने किया था. उसके बाद ही इस तरह से रन ऑउट करने को 'मांकडिंग' करार दिया जाने लगा. हालांकि सुनील गावस्कर ने इस स्थिति को 'ब्रॉउन्ड' भी करार दिया. गौर करने वाली बात यह है कि एक तरफ वीनू मांकड़ की आलोचना हो रही थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान ग्रेट सर डॉन ब्रेडमैन ने इसके लिए वीनू मांकड़ का समर्थन किया. सर डॉन ब्रेडमैन ने अपनी आत्मकथा में लिखा भी, 'जिंदगी भर मेरी समक्ष नहीं आया कि प्रेस उसकी (वीनू मांकड़) खेल भावना पर प्रश्नचिन्ह क्यों लगा रहा था. क्रिकेट के नियमों में साफ-साफ लिखा हुआ है कि नॉन स्ट्राइकर पर खड़ा बल्लेबाज गेंद के फेंके जाने तक क्रीज नहीं छोड़ सकता है. अगर यह सही नहीं माना जाता तो नियम ही क्यों बनता जिसके तहत गेंदबाज नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े बल्लेबाज को रन ऑउट कर सकता है? क्रीज छोड़ कर आगे निकल जाने या गेंद फेंकने से पहले ही क्रीज छोड़ देना का अनुचित लाभ नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े बल्लेबाज को अनुचित लाभ मिलता है.'

The person who are talking about Spirit of Cricket@StuartBroad8 #DeeptiSharma pic.twitter.com/duc58jaQsT

— Cric (@Ld30972553) September 24, 2022

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नॉन स्ट्राइकर छोर पर बल्लेबाज को रन ऑउट का नियम है मांकडिंग
इसी साल मार्च में 'क्रिकेट के नियमों का संरक्षक' कहे जाने वाले लंदन के 'मेरीलेबोन क्रिकेट क्लब' ने 'मांकडिंग' के तहत नॉन स्ट्राइकर छोर पर खड़े बल्लेबाज को रन ऑउट को सामान्य नियम करार दिया है. इसके लिए क्लब ने 'मांकडिंग' को 'अनुचित खेल' के नियम अनुच्छेद 41 से हटाकर अनुच्छेद 38 से जोड़ दिया है, जो 'रन ऑउट' से जुड़े नियमों की व्याख्या करता है. इसके साथ ही एमसीसी ने 2017 में इस तरह नॉनस्ट्राइकर छोर पर खड़े बल्लेबाज के खिलाफ रन ऑउट की अपील का अधिकार गेंदबाज को दिया है. हालांकि इस नियम को लेकर हमेशा से विवाद होता आया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्रिकेट की खेल भावना के विपरीत जाकर उसे बदनाम करने वाले 'मांकडिंग' नियम को क्या क्रिकेट की गवर्निंग बॉडी बरकरार रखेगी!