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Constitution Day: 26 नवंबर को ही संविधान दिवस के रूप में क्यों मनाते हैं, जानें

सन् 2015 में डॉ बी.आर. आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई थी, जिन्हें 'संविधान के जनक' के रूप में भी जाना जाता है. संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष को श्रद्धांजलि स्वरूप मोदी सरकार ने तब साल भर चलने वाले समारोहों की योजना बनाई थी.

News Nation Bureau
| Edited By :
26 Nov 2022, 03:21:51 PM (IST)

highlights

  • भारत का संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें कुल 1,45,000 शब्द हैं
  • संविधान की मूल प्रति टाइप या प्रिंट फॉर्मेट के बजाय प्रेम नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी
  • 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा में 15 महिलाओं समेत 284 सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली:

संविधान दिवस 26 नवंबर को भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. इस दिन भारत की संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ. भारत सरकार ने 19 नवंबर 2015 को राजपत्रित अधिसूचना द्वारा 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) के रूप में घोषित किया. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 11 अक्टूबर 2015 को मुंबई में बी.आर. आंबेडकर की 'समानता स्मारक मूर्ति' की नींव रखते हुए यह घोषणा की थी. इस साल संविधान निर्माता बी.आर. आंबेडकर की 132वीं जयंती मनाई जा रही है, जिन्होंने संविधान सभा की मसौदा समिति की अध्यक्षता की थी और संविधान तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. पहले इस दिन को विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था.

संविधान दिवस की जानने योग्य बातें

  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को नागरिकों के बीच मूल्यों को संवैधानिक बढ़ावा देने के लिए हर साल 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के भारत सरकार के फैसले को अधिसूचित किया.
  • सन् 2015 में डॉ. बी.आर. आंबेडकर की 125वीं जयंती मनाई गई, जिन्हें 'संविधान के जनक' के रूप में भी जाना जाता है. संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष को श्रद्धांजलि के रूप में तब मोदी सरकार ने साल भर चलने वाले समारोहों की योजना बनाई थी. मई 2015 में मुंबई में इस तरह के एक आयोजन के दौरान प्रधान मंत्री मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस ​​​​के रूप में घोषित किया. इसे पहले 'विधि दिवस' के रूप में मनाया जाता था. 
  • भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद 1946 में गठित संविधान सभा के अध्यक्ष थे. स्वतंत्र भारत के लिए संविधान का प्रारूप तैयार करने के काम में दो साल, ग्यारह महीने और सत्रह दिन लगे थे. 
  • 29 अगस्त 1947 को संविधान सभा ने डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के नेतृत्व में संविधान तैयार करने के लिए संविधान मसौदा समिति का गठन किया था. समिति ने संविधान सभा में कुल 7,635 मसौदे प्रस्तुत किए थे. तमाम विचार-विमर्श, चर्चा और बहस के बाद 2,473 मसौदों का निपटारा किया गया था.
  • इस अवधि के दौरान कुल 165 दिनों के ग्यारह सत्र हुए. इनमें से 114 दिन संविधान के मसौदे पर विचार करने में गए.