Akshay Tritiya 2019: बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, करें ये काम, पूरी होगी हर मनोकामना
अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ दिन है, अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त देखे शादी हो सकती है.
नई दिल्ली:
Akshay Tritiya 2019: इस बार 7 मई को अक्षय तृतीया है. अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ दिन है, अक्षय तृतीया पर बिना मुहूर्त देखे शादी हो सकती है. जिन लोगों को शादी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहे हैं, वे इस तिथि पर शादी कर सकते हैं. इस अक्षय तृतीया को कई शुभ संयोग बन रहे हैं. अगर सालभर दान नहीं किया है तो इस दिन दान जरूर करना चाहिए, इस दान का अक्षय फल मिलता है. इस दिन तीन प्रमुख ग्रहों का गोचर उच्च राशि में रहेगा. सूर्य मेष, चंद्रमा वृषभ, शुक्र मीन राशि में रहेंगे. ये तीनों ग्रह अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे. सूर्य के साथ बुध की युति होने से बुधादित्य योग बनेगा.
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देव, ऋषि, पितरों के लिए ब्रह्म यज्ञ, पिंड दान, अन्नदान करना चाहिए. इस दिन पानी का दान या मटके का दान जरूर करें. अक्षय तृतीया पर रोहिणी नक्षत्र और रवियोग का संयोग बन रहा है. अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी के पूजन का शुभ मुहूर्त सात मई को सुबह 5 बजकर 40 मिनट से शुरू होकर 12 बजकर 17 मिनट तक है.
इस बार विशेष फल प्रदान करेगी अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया के दिन सोना अथवा चांदी के आभूषण खरीदने का विधान है. कई लोग घर में बरकत के लिए इस दिन सोने या चांदी की लक्ष्मी की चरण पादुका लाकर घर में रखते और उसकी नियमित पूजा करते हैं. साथ ही इस दिन पितरों की प्रसन्नता और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए किसी ब्राह्मण को जल कलश, पंखा, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, फल, शक्कर, घी आदि दान करने चाहिए.
अक्षय तृतीया से एक हफ्ता पहले सस्ता हुआ सोना, जानिए क्या है कीमत
सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 26 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 47 मिनट तक है. राशि अनुसार ये चीजें खरीद कर घर जरूर लाएं.
यूं करें लक्ष्मी जी की पूजा
अक्षय तृतीया पर मां लक्ष्मी की पूजा करते समय उनके माथे पर केसर और हल्दी का तिलक लगाएं. लक्ष्मीजी के लिए सोने की चरण पादुका खरीदकर घर लाएं. रोज इसकी पूजा करें. विवाह आदि के लिए इस दिन पंचांग देखने की जरूररत नहीं पड़ती. इस दिन सोना खरीदना बहुत शुभ माना गया है.
अक्षय तृतीया की कथा
हिंदु धार्मिक कथा के अनुसार एक गांव में धर्मदास नाम का व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था. उसके एक बार अक्षय तृतीया का व्रत करने का सोचा. स्नान करने के बाद उसने विधिवत भगवान विष्णु जी की पूजा की. इसके बाद उसने ब्राह्मण को पंखा, जौ, सत्तू, चावल, नमक, गेहूं, गुड़, घी, दही, सोना और कपड़े अर्पित किए. इतना सबकुछ दान में देते हुए पत्नी ने उसे टोका. लेकिन धर्मदास विचलित नहीं हुआ और ब्राह्मण को ये सब दान में दे दिया.
यही नहीं उसने हर साल पूरे विधि-विधान से अक्षय तृतीया का व्रत किया और अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राहम्ण को दान भी दिया. बुढ़ापे और दुख बीमारी में भी उसने यही सब किया. इस जन्म के पुण्य से धर्मदास ने अगले जन्म में राजा कुशावती के रूप में जन्म लिया. उनके राज्य में सभी प्रकार का सुख-वैभव और धन-संपदा थी. अक्षय तृतीया के प्रभाव से राजा को यश की प्राप्ति हुई, लेकिन उन्होंने कभी लालच नहीं किया. राजा पुण्य के कामों में लगे रहे और उन्हें हमेशा अक्षय तृतीया का फल मिलता रहा.
अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती
पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम का जन्म 6 उच्च ग्रहों के योग में हुआ, इसलिए वह तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष बने. प्रतापी एवं माता-पिता भक्त परशुराम ने जहां पिता की आज्ञा से माता का गला काट दिया, वहीं पिता से माता को जीवित करने का वरदान भी मांग लिया. ये वही परशुराम हैं जिन्होंने क्रोध में आकर भगवान गणेश का एक दांत तोड़ दिया था. कहा जाता है कि इनके क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहा करते थे. वहीं, मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान परशुराम ने धरती पर अवतार लिया था.