Vijaya Ekadashi 2020: विजया एकादशी का क्या है महत्व, यहां पढ़ें व्रत कथा
विजया एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से होता है. ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में एकादशी का काफी महत्व है. साल 24 एकादशियां होती हैं. जब अधिकमास या मलमास आता है, तब उनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है. इन एकदाशियों में एक विजया एकादशी भी है. विजया एकादशी अपने नाम के अनुसार विजय देने वाली होती है. जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है हर मोड़ पर विजय मिलती है और मुश्किले दूर हो जाती हैं.
विजया एकादशी व्रत का संबंध भगवान विष्णु से होता है. ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. पुराणों मे कहा गया है कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र मानते हैं. कोई भी भक्त अगर विधि-विधान से एकादशी का व्रत करे तो सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं.
विजया एकादशी का शुभ मुहूर्त
विजया एकादशी आरंभ- 18 फरवरी, दोपहर 2. 32 बजे
विजया एकादशी समाप्त- 19 फरवरी दोपहर 3.02 बजे
व्रत कथा
पुराणों के अनुसार एक बार अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि हे माधव फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का क्या महात्मय है. इस पर श्री कृष्णचंद जी कहते हैं प्रिय अर्जुन फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस एकादशी का व्रत करने वाला सदा विजयी रहता है. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण ने भगवान की कथा भी सुनाई. वह कहते हैं- त्रेतायुग की बात है श्री रामचन्द्र जी जो विष्णु के अंशावतार थे अपनी पत्नी सीता को ढूंढते हुए सागर तट पर पहुंचे. सागर तट पर भगवान का परम भक्त जटायु नामक पक्षी रहता था. उस पक्षी ने बताया कि सीता माता को सागर पार लंका नगरी का राजा रावण ले गया है और माता इस समय आशोक वाटिका में हैं. जटायु द्वारा सीता का पता जानकर श्रीराम चन्द्र जी अपनी वानर सेना के साथ लंका पर आक्रमण की तैयारी करने लगे परंतु सागर के जल जीवों से भरे दुर्गम मार्ग से होकर लंका पहुंचना प्रश्न बनकर खड़ा था.
भगवान श्री राम इस अवतार में मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप में दुनियां के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे अत: आम मानव की भांति चिंतित हो गये. जब उन्हें सागर पार जाने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था तब उन्होंने लक्ष्मण से पूछा कि हे लक्ष्मण इस सागर को पार करने का कोई उपाय मुझे सूझ नहीं रहा अगर तुम्हारे पास कोई उपाय है तो बताओ. श्री रामचन्द्र जी की बात सुनकर लक्ष्मण बोले प्रभु आपसे तो कोई भी बात छिपी नहीं है आप स्वयं सर्वसामर्थवान है फिर भी मैं कहूंगा कि यहां से आधा योजन दूर परम ज्ञानी वकदाल्भ्य मुनि का निवास हैं हमें उनसे ही इसका हल पूछना चाहिए.
भगवान श्रीराम लक्ष्मण समेत वकदाल्भ्य मुनि के आश्रम में पहुंचे और उन्हें प्रणाम करके अपना प्रश्न उनके सामने रख दिया. मुनिवर ने कहा हे राम आप अपनी सेना समेत फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें, इस एकादशी के व्रत से आप निश्चित ही समुद्र को पार कर रावण को पराजित कर देंगे. श्री रामचन्द्र जी ने तब उक्त तिथि के आने पर अपनी सेना समेत मुनिवर के बताये विधान के अनुसार एकादशी का व्रत रखा और सागर पर पुल का निर्माण कर लंका पर चढ़ाई की. राम और रावण का युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया
पूजा विधि
- दशमी के दिन एक वेदी बनाकर उस पर सप्तधान रखें.
- फिर अपने सामर्थ्य के अनुसार स्वर्ण, रजत, ताम्बा या मिट्टी का कलश बनाकर उस पर स्थापित करें.
- एकदशी के दिन उस कलश में पंचपल्लव रखकर श्री विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और विधि सहित धूप, दीप, चंदन, फूल, फल और तुलसी से पूजन करें.
- व्रती पूरे दिन भगवान की कथा का पाठ और श्रवण करें
- रात में कलश के सामने बैठकर जागरण करे. द्वादशी के दिन कलश को योग्य ब्राह्मण या पंडित को दान कर दें.