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महामारी और युद्ध के समय नहीं करनी चाहिए ये काम, हो सकता है बड़ा नुकसान

आचार्य चाणक्य की बताई नीतियों का अनुसरण किया जाए तो जीवन में कई बड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है.चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक हैं. आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था.

News Nation Bureau
| Edited By :
20 Apr 2021, 09:00:00 AM (IST)

दिल्ली :

आचार्य चाणक्य की बताई नीतियों का अनुसरण किया जाए तो जीवन में कई बड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है.चाणक्य भारत के श्रेष्ठ विद्वानों में से एक हैं. आचार्य चाणक्य को अर्थशास्त्र के साथ साथ राजनीति शास्त्र, कूटनीति शास्त्र का भी अच्छा ज्ञान था. चाणक्य विश्व प्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे. चाणक्य ने अपने अनुभव और ज्ञान से जो समझा और जाना उसे अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में स्थान दिया.चाणक्य ने अच्छे व्यक्तित्व वाले पुरुष का पता लगाने के लिए चार तरह के गुणों का जिक्र किया है. चाणक्य का कहना है कि जिस तरह से सोने की जांचपरख उसे घिसकर, तपाकर और काट छांट कर की जाती है, ठीक उसी प्रकार व्यक्ति की परख भी उसके गुणों के द्वारा की जाती है. 

आज के समय में भी लोग चाणक्य नीति का अध्ययन करते हैं. चाणक्य की शिक्षाओं को अपनाकर अपने जीवन को सफल और सुगम बनाने का प्रयास करते हैं. बता दें कि देश एक बार फिर महामारी से जूझ रहा है. देश में कोरोना का कहर विकराल होते जा रहा है. ऐसे में चाणक्य की शिक्षाओं का अनुसरण किया जाय तो हम कुछ हद तक परेशानी से बच सकते हैं. आइए जानते हैं महामारी के समय  बातों का ध्यान रखने के लिए चाणक्य नीति कहता है। 

चाणक्य के अनुसार जब महामारी या बड़ा संकट आ जाए तो व्यक्ति को बहुत ही सतर्क और सावधान हो जाना चाहिए. कोरोना को महामारी माना गया है. चाणक्य की मानें तो संकट के समय व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए. 

चाणक्य के अनुसार कोई भी युद्ध बिना हिम्मत के नहीं जीता जा सकता है. महामारी या संकट के समय व्यक्ति को अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए और समस्या के निदान और बचाव के बारे में निरंतर चिंतन और मंथन करते रहना चाहिए. 

चाणक्य के अनुसार बड़ा संकट आने पर ही व्यक्ति की प्रतिभा की पहचान होती है. संकट की स्थिति में व्यक्ति को सकारात्मक सोचना बंद नहीं करना चाहिए. सकारात्मक सोच ही व्यक्ति को बड़ी मुसीबत से बाहर निकालने में मदद करती है. यही नहीं दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए. 

चाणक्य के अनुसार शत्रु जब अधिक शक्तिशाली हो तो छिप जाने में ही भलाई है. शक्तिशाली शत्रु को ललकराने से पराजित सुनिश्चित है. शक्तिशाली और अदृश्य शत्रु को जोश से नहीं होश से पराजित करना चाहिए.