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Rohini Vrat Katha: कैसे मिली दुर्गंधा को मुक्ति? रोहिणी व्रत के दिन पढ़ें यह व्रत कथा

Rohini Vrat Katha: पंचांग के अनुसार इस बार रोहिणी व्रत आज यानि 18 फरवरी 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा. मुख्य रूप से इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं.

News Nation Bureau
| Edited By :
18 Feb 2024, 11:50:51 AM (IST)

नई दिल्ली:

Rohini Vrat Katha: रोहिणी व्रत का जैन धर्म में विशेष महत्व होता है जिसका संबंध नक्षत्रों से माना गया है. ऐसा माना जाता है कि जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र आता है तभी रोहिणी का व्रत रखा जाता है. यह व्रत हर माह में एक बार आता है. पंचांग के अनुसार इस बार रोहिणी व्रत आज यानि 18 फरवरी 2024 दिन रविवार को मनाया जाएगा. मुख्य रूप से इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इसके अलावा इस दिन आपको इस कथा को जरूर पढ़ना चाहिए. आइए इसके बारे में विस्तार में जानते हैं.

रोहिणी व्रत कथा दो कहानियों से मिलकर बनी है, जो जैन समुदाय में इस व्रत के महत्व को दर्शाती हैं. आइए विस्तार से जानते हैं इसके बारे में. 

पहली कथा

धनमित्र नामक एक राजा थे. उनकी दासियों में से एक कन्या का नाम दुर्गंधा था.  लेकिन उसका शरीर कोढ़ से ग्रस्त था और उसका व्यवहार भी अच्छा नहीं था.  राजा ने मुनिराज से पूछा कि दुर्गंधा के ऐसे हाल का कारण क्या है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है. मुनिराज ने बताया कि दुर्गंधा के पिछले जन्म में किए गए पापों का यह फल है.  उसने एक तपस्वी को बहुत परेशान किया था, जिसके कारण उसे कोढ़ और नर्क भोगना पड़ा. अब वह दुर्गंधा के रूप में जन्मी है. मुनिराज ने यह भी बताया कि अगर दुर्गंधा हर महीने रोहिणी नक्षत्र के दिन व्रत करे और धर्मध्यान में 16 घंटे व्यतीत करें, तो 5 साल 5 महीने बाद उसे मोक्ष प्राप्त हो सकता है. दुर्गंधा ने पूरी श्रद्धा से यह व्रत किया और अंत में स्वर्ग की पहली देवी बनी.  बाद में, वह अशोक की रानी के रूप में जन्मी, जिसका नाम भी रोहिणी था. 

दूसरी कथा

राजा अशोक ने भी मुनिराज से अपने पिछले जन्मों के बारे में पूछा. मुनिराज ने बताया कि वह पहले एक भील था, जिसने एक तपस्वी को बहुत सताया था.  इसलिए उसे नरक जाना पड़ा और कई जन्मों तक कष्ट भोगना पड़ा. फिर एक जन्म में वह बहुत ही घिनौने शरीर वाला व्यक्ति बना.  एक साधु की सलाह पर उसने रोहिणी व्रत किया और कई जन्मों के पुण्य कर्मों के कारण वह हस्तिनापुर का राजा बना.  बाद में उसका विवाह रोहिणी से हुआ जो दुर्गंधा का ही पुनर्जन्म था. इन कहानियों के माध्यम से रोहिणी व्रत के महत्व को बताया गया है। माना जाता है कि यह व्रत आत्मिक शुद्धि लाता है, कर्मों के बंधन से मुक्ति दिलाता है, और सुख-समृद्धि प्रदान करता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)