नरक चतुर्दशी 2017: जानें छोटी दिवाली मनाने के पीछे क्या है कहानी?
दीपावली की कहानी तो हर कोई जानता है कि इसे क्यों मनाया जाता है लेकिन आइये है जानते है कि छोटी दीवाली यानी कि नरक चतुर्दर्शी मनाने के पीछे क्या है कहानी ?
highlights
- नरक चतुर्दर्शी के दिन यमराज की पूजा भी की जाती है
- नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने की खुशी में छोटी दिवाली मनाया गया
- छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है
नई दिल्ली:
पूरे देश में दीपों के पर्व दीपावली की धूम है। घर से लेकर बाजार तक रंग बिरंगी झालरों से जगमगा रहे है। छोटी दिवाली के मौके पर बाज़ारों पर धूम है। छोटी दिवाली के कई नाम हैं जैसे नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी, रूप चतुर्दशी और रूप चौदस।
हर त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसे मनाने के पीछे की क्या कहानी है आईए जानते हैं।
इसलिए मनाते हैं नरक चतुर्दर्शी
नरकासुर नामक राक्षस था जिसने अपनी शक्ति के बल पर 16 हजार स्त्रियों को बंदी बना लिया था। इसके बाद उसके अत्याचारों से परेशान होकर देवता और संत ने श्री कृष्ण से मदद मांगी।
भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध कर देवताओं व संतों को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई। इसके बाद छुड़ाई हुई कन्याओं को सामाजिक मान्यता दिलवाने के लिए भगवान कृष्ण ने सभी को अपनी पत्नी के रुप में स्वीकार किया।
नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने की खुशी में दूसरे दिन यानि कार्तिक मास की अमावस्या को लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए और तभी से नरक चतुर्दशी और छोटी दिवाली का त्योहार मनाया जाने लगा।
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इसके अलावा यह भी मान्यता है कि नरक चतुर्दर्शी के दिन यमराज की पूजा करनी चाहिए।
कहा जाता है इस दिन संध्या के समय दीप दान करने से नरक में मिलने वाली यातनाओं, सभी पाप सहित अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है इसलिए भी नरक चतुर्दर्शी के दिन दीपदान और पूजा का विधान है।
इस दिन पूजा और व्रत करने वाले को यमराज की विशेष कृपा भी मिलती है।
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