.

Kamada Ekadashi 2021: ऐसे करें कामदा एकादशी की पूजा, सभी कष्ट होंगे दूर, हर मनोकामना होगी पूर्ण

आज यानी कि 23 अप्रैल को  कामदा एकादशी मनाई जा रही है, इस दिन लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा होती है. एकादशी का व्रत करने से भक्तों को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

News Nation Bureau
| Edited By :
23 Apr 2021, 12:09:42 PM (IST)

नई दिल्ली:

आज यानी कि 23 अप्रैल को  कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi 2021) मनाई जा रही है. इस दिन लक्ष्मी पति भगवान विष्णु की पूजा होती है. हिंदू धर्म में कामदा एकादशी व्रत का विशेष महत्व है.  एकादशी का व्रत करने से भक्तों को हर तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. हिन्‍दू पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार इस व्रत को विधिपूर्वक करने से राक्षस आदि की योनि भी छूट जाती है. कहते हैं कि संसार में इसके बराबर कोई और दूसरा व्रत नहीं है. इसकी कथा पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है.

और पढ़ें: चाणक्य नीति: मां के गर्भ में ही तय हो जाता इंसान का भविष्य, जानें ये 5 बातें

कामदा एकादशी की व्रत विधि-

  • एकादशी को निर्जला व्रत करना होता है.
  • सुबह स्नान करके सफ़ेद पवित्र वस्त्र पहनें और विष्णु देव की पूजा करें.
  • विष्णु देव को पीले गेंदे के फूल, आम या खरबूजा, तिल, दूध और पेड़ा चढ़ाएं.
  •  ॐ नमो भगवते वासुदेवाये का जाप करें.
  • मंदिर के पुजारी को भोजन करवाकर दक्षिणा दें.

कामदा एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

22 अप्रैल की रात 11 बजकर 35 मिनट से एकादशी तिथि आरंभ होगी. कामदा एकादशी की तिथि का समापन 23 अप्रैल की रात 09 बजकर 47 मिनट पर होगा.

कामदा एकादशी की व्रत कथा-

कहा जाता है कि पुण्डरीक नामक नागों का एक राज्य था. यह राज्य बहुत वैभवशाली और संपन्न था. इस राज्य में अप्सराएं, गन्धर्व और किन्नर रहा करते थे. वहां ललिता नाम की एक अतिसुन्दर अपसरा भी रहती थी. उसका पति ललित भी वहीं रहता था. ललित नाग दरबार में गाना गाता था और अपना नृत्य दिखाकर सबका मनोरंजन करता था. इनका आपस में बहुत प्रेम था

दोनों एक दूसरे की नज़रों में बने रहना चाहते थे. राजा पुण्डरीक ने एक बार ललित को गाना गाने और नृत्य करने का आदेश दिया. ललित नृत्य करते हुए और गाना गाते हुए अपनी अपसरा पत्नी ललिता को याद करने लगा, जिससे उसके नृत्य और गाने में भूल हो गई. सभा में एक कर्कोटक नाम के नाग देवता उपस्थित थे, जिन्होंने पुण्डरीक नामक नाग राजा को ललित की गलती के बारे में बता दिया था. इस बात से राजा पुण्डरीक ने नाराज होकर ललित को राक्षस बन जाने का श्राप दे दिया.

इसके बाद ललित एक अयंत बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया. उसकी अप्सरा पत्नी ललिता बहुत दुखी हुई. ललिता अपने पति की मुक्ति के लिए उपाय ढूंढने लगी. तब एक मुनि ने ललिता को कामदा एकादशी व्रत रखने की सलाह दी. ललिता ने मुनि के आश्रम में एकादशी व्रत का पालन किया और इस व्रत का पूण्य लाभ अपने पति को दे दिया. व्रत की शक्ति से ललित को अपने राक्षस रूप से मुक्ति मिल गई और वह फिर से एक सुंदर गायक गन्धर्व बन गया.