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Hanuman Jayanti 2020: हनुमान जयंती पर करें ये काम हर तरह का संकट होगा दूर

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था. वहीं पुराणों में पवनसुत का जन्म चैत्र पूर्णिमा को बताया गया है. वैसे अधिकांश जगहों परस्कंदपुराण में वर्णन है कि शिव के ग्यारहवें रुद्र ही विष्णु के अवतार श्रीराम की सहायता के

News Nation Bureau
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06 Apr 2020, 03:37:20 PM (IST)

नई दिल्ली:

चैत्र पूर्णिमा को ही मारुतिनंदन हनुमान की जयंती धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार हनुमान जयंती बुधवार 8 अप्रैल को मनाई जाएगी. शास्त्रों के अनुसार हनुमान जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है. पहली बार इसे चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा के दिन और दूसरी कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है. बता दें हनुमान जी भगवान राम के बहुत बड़े भक्त थे इसलिए इस दिन भगवान राम सीता और लक्ष्मण के साथ उनकी पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है.

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान का जन्म कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था. वहीं पुराणों में पवनसुत का जन्म चैत्र पूर्णिमा को बताया गया है. वैसे अधिकांश जगहों परस्कंदपुराण में वर्णन है कि शिव के ग्यारहवें रुद्र ही विष्णु के अवतार श्रीराम की सहायता के लिए हनुमान रूप में अवतरित हुए. भगवान शंकर ने श्री विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त किया था, जिसे पूर्ण करने हेतु वह अवतार लेना चाहते थे. वेद पुराणों में हनुमानजी को अजर-अमर कहा गया है.

शास्त्रों में सप्त चिरंजीवों में हनुमान, राजा बली, महामुनि व्यास, अंगद, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और विभीषण सम्मिलित हैं. चूंकि हनुमान संदेह इस धरा पर मौजूद हैं तो उनकी उपासना किसी भी तरह से की जाए निश्चित फलदायी होती है.

हनुमान जयंती पर करें ये काम-

  • हनुमान जयंती के दिन रामायण और राम रक्षास्रोत का पाठ करने से मन को शांति मिलती है. हनुमान जयंती पर हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं. ऐसा करने से शुभ समाचार प्राप्त होंगे.
  • व्यापार में घज्ञटा होने पर हनुमानजी को चोला चढ़ाने से फायदा मिलता है.
  • हनुमान जयंती के दिन किसी हनुमान मंदिर की छत पर लाल झंडा लगाने से हर तरह के आकस्मिक संकट से मुक्ति मिलती है.

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शनि के प्रभाव से बचाते हैं हनुमान

रामायण से सर्वविदित होता है कि लंकापति रावण के सभी भाई व पुत्रों की जब मृत्यु हो रही थी तो अपने अमरत्व के लिए उसने सौरमंडल के सभी ग्रहों को अपने दरबार में कैद कर लिया था. रावण की कुंडली में शनि ही एकमात्र ऐसा ग्रह था जिसकी वक्रावस्था व योगों के कारण रावण के लिए मार्केश की स्थिति उत्पन्न हो रही थी, जिसे बदलने के लिए रावण ने शनि को दरबार में उलटा लटका दिया था और यातनाएं दी थीं. परंतु शनि के व्यवहारों में कोई बदलाव नहीं आया था.

जब विभीषण ने हनुमान को इस बारे में में बताया तो हनुमान ने शनि को रावण की कैद से मुक्त कराया था. तभी शनिदेव ने हनुमान को वरदान दिया था कि जो भी उनकी आराधना करेगा उसे वह कष्ट नहीं पहुंचाएंगे.