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Chanakya Niti: व्यक्ति को ये गुण बनाते हैं श्रेष्ठ, समाज में बढ़ता है सम्मान

आचार्य चाणक्य के मुताबिक, व्यक्ति को हमेशा मीठे बोल बोलना चाहिए. वाणी ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है और उसके स्वाभाव को दर्शाता है. दूसरे लोगों से जो अच्छे से बात करता है, उसकी चर्चा पूरे समाज में होती है.

News Nation Bureau
| Edited By :
02 Apr 2021, 01:00:01 PM (IST)

नई दिल्ली:

जीवन में हर व्यक्ति कामयाब और श्रेष्ठ बनना चाहता हैं. इसके लिए व्यक्ति को अपना चरित्र और व्यक्तित्व में निखार लाने की आवश्यकता होती है. लेकिन बहुत से लोगों को मालूम ही नहीं होता है कि इस दिशा में कदम कैसे बढ़ाएं. दूसरा ये भी है कि महान और श्रेष्ठ इंसान अपने पद से बनना चाहता तो इसलिए भी व्यक्ति अपने गुणों की तरफ ध्यान नहीं देता है. ऐसे में आज हम आचार्य  चाणक्य की उन नीति के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर व्यक्ति खुद को श्रेष्ठ बना सकते हैं. चाणक्य ने व्यक्ति में उपस्थित उन गुणों के बारे में बताया है, जो व्यक्ति को श्रेष्ठ और महान बना सकता हैं. 

मीठी वाणी बोलिए 

आचार्य चाणक्य के मुताबिक, व्यक्ति को हमेशा मीठे बोल बोलना चाहिए. वाणी ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है और उसके स्वाभाव को दर्शाता है. दूसरे लोगों से जो अच्छे से बात करता है, उसकी चर्चा पूरे समाज में होती है. वहीं ऐसे व्यक्ति आसानी से दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. हर कोई उस व्यक्ति का सम्मान करता है. वहीं मधुर वाणी से आप अपने शत्रु को भी हरा सकता है. आप अपने मधुर वाणी से हर किसी पर अपना प्रभाव आसानी से छोड़ सकते हैं.

सदैव धर्म के रास्ते पर चलें

धर्म के रास्ते पर चलना वाला व्यक्ति महान लोगों की श्रेणी में आते हैं. आचार्य चाणक्य के अनुसार,  धर्म का पालन करने वाला व्यक्ति श्रेष्ठ होता है। धर्म मनुष्य को सही और गलत की पहचान करवाता है। इसलिए मनुष्य को हर परिस्थिति में धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए. धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति गलत कार्यों की ओर उन्मुख नहीं होता है और समाज हित के कार्य करता है। यही समाज हित की भावना मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है.

बने दानवीर

महाभारत में कर्ण कौरवों की सेना में शामिल थे लेकिन दान के कारण ही आज दुनिया उन्हें सम्मानित नजरों से देखती है. यहीं वजह है कि व्यक्ति को दानवीर बनना चाहिए. आचार्य चाणक्य के अनुसार, दान देने की भावना ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है. दान से मनुष्य में परोपकार की भावना जागृत होती है, परोपकार की भावना रखने वाला व्यक्ति दूसरों के हित के बारे में सोचता है. वहीं हर एक धर्म में भी दान को श्रेष्ठ माना गया है.