Puja Time in Sanatan Dharma: सनातन धर्म में पूजा दिन, समय और विधि के नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इन नियमों का पालन करने से पूजा अधिक फलदायी होती है. पूजा धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठान है जो भक्ति और समर्पण की भावना को व्यक्त करता है. पूजा के माध्यम से भक्त अपने ईश्वर या देवता की उपासना करते हैं और उनसे संवाद करते हैं. पूजा के द्वारा भक्त अपने मन को शुद्ध करते हैं, अपने अंतर को शांति और स्थिरता से भरते हैं. यह ध्यान, ध्येय, और ध्यान में एकाग्रता विकसित करता है और भक्त को आत्मा के साथ संबंध स्थापित करता है.
सनातन धर्म में पूजा का अनेक प्रकार होते हैं, जैसे की मंदिरों में दिन-रात आरती, प्रतिदिन अलग-अलग प्रकार की पूजा-अर्चना, व्रत, उत्सव, आदि. इन सभी अनुष्ठानों का मूल उद्देश्य भगवान की प्रसन्नता प्राप्ति है और अपने जीवन को धार्मिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित बनाना है. अगर आप अपनी सहूलियत के अनुसार किसी भी समय पूजा कर लेते हैं तो जान लें कि सनातन धर्म में पूजा करने का सही समय क्या है.
पूजा का सही समय
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे तक पूजा करनी चाहिए. यह समय देवताओं की पूजा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है. इस समय में मन शांत और एकाग्र होता है और पूजा का अधिक लाभ मिलता है. सूर्योदय के समय पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है. इस समय मन शांत होता है और वातावरण सकारात्मक होता है. सूर्य देवता को अर्घ्य देने का यह सबसे उत्तम समय है. सूर्य देवता को अर्घ्य देने से स्वास्थ्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है.
मध्याह्न: दोपहर 12:00 बजे के आसपास भी पूजा की जा सकती है. यह समय सूर्य देवता की पूजा के लिए भी उत्तम माना जाता है. इस समय में सूर्य देवता अपनी पूर्ण तेज में होते हैं.
संध्याकाल: सूर्यास्त के समय की जाने वाली पुजा है जो सूर्यास्त से लेकर 1 घंटे की बीच उत्तम मानी जाती है. इस समय देवताओं की आराधना और दीपदान करने से नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है. सूर्यास्त के समय भी पूजा कर सकते हैं. इस समय भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है.
रात्रि के समय: अगर आप सुबह या शाम पूजा नहीं कर सकते हैं तो आप मध्याह्न के समय भी पूजा कर सकते हैं. रात 10:00 बजे के बाद का समय देवी देवताओं की उपासना और ध्यान करने का उत्तम समय है. इस समय में मन शांत होता है और एकाग्रता बढ़ती है.
कुछ विशेष दिन और तिथियां पूजा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं. जैसे कि, रविवार को सूर्यदेव, सोमवार को शिवजी, मंगलवार को हनुमानजी, बुधवार को गणेशजी, गुरुवार को विष्णुजी, शुक्रवार को माता लक्ष्मी और शनिवार को शनिदेव की पूजा करना शुभ माना जाता है. इसके अलावा, कुछ विशेष तिथियां भी पूजा के लिए महत्वपूर्ण होती हैं. जैसे कि, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या, संक्रांति आदि.
पूजा करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं. ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख और समृद्धि आती है. पूजा करने से धर्म के प्रति आस्था बढ़ती है और चरित्र में सुधार होता है. सनातन धर्म में पूजा का बहुत महत्व है. पूजा का सही समय और विधि का पालन करके आप ईश्वर की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और जीवन में तरक्की की ओर बढ़ सकते हैं. व्यक्तिगत स्तर पर, पूजा व्यक्ति को ईश्वर या अपने चुने गए देवता के साथ आत्मीयता की भावना से भर देती है, जिससे उसका मन और आत्मा संतुलित और प्रसन्न रहता है. सम्पूर्ण रूप से, सनातन धर्म में पूजा का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जो व्यक्ति को उच्चतम सत्य की ओर ले जाता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau