Happy Birthday Sachin Tendulkar: वो 13 बातें जो सचिन के जीवन में साबित हुई मील का पत्थर
क्रिकेट की दुनिया के भगवान के नाम से मशहूर मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का आज 46वां जन्मदिन है. आईए तस्वीरों में देखते हैं सचिन तेंदुलकर के जीवन की 13 उपलब्धियां जो क्रिकेट जगत में मील का पत्थर साबित हुई.
24 वर्षों तक क्रिकेट की दुनिया में छाए रहने वाले सचिन रमेश तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई के शिवाजी पार्क राणाडे रोड स्थित निर्मल नर्सिंग होम में दोपहर 1 बजे हुआ.
महज 12 वर्ष की उम्र में अंडर-17 हैरिस शील्ड में अपने स्कूल की ओर से खेलते हुए शतक लगाया. क्रिकेट की किताबों के सबसे बड़े नाम सचिन तेंदुलकर ने अपने बल्ले के दम पर 100 शतक लगाए इसके साथ ही उन्होंने तमाम कीर्तिमान छुए. लेकिन सचिन का वो पहला बैट उनकी बहन ने दिया जिसके बाद सचिन इस खेल के दीवाने बन गए. कश्मीर ट्रिप से वापस आई सचिन की बहन सविता घर के हर सदस्य के लिए कुछ तोहफा लाती है. जिसमें सचिन के लिए उपहार के तौर पर उनका पहला बैट आता है.
सचिन बचपन में अपने बड़े भाई नितिन तेंदुलकर से डरते थे. एक सीन में सचिन घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहे होते हैं और उनकी मां उन्हें आवाज़ देती है लेकिन वो नहीं सुनते. इसके बाद जैसे ही सचिन के भाई नितिन तेंदुलकर पुकारते हैं '..सचिन...'. वैसे ही सचिन तुरंत दौड़े घर में चले आते हैं.
15 वर्ष की उम्र में तत्कालीन बंबई के लिए फर्स्ट क्लास में डेब्यू करते हुए शतक जमाया. जब 14 साल के हुए तो विनोद कांबली के साथ 664 रनों की पार्टनरशिप की, जो उस समय वर्ल्ड रिकॉर्ड था.इन दिनों सचिन ने बिना आउट हुए 207, 329 और 346 के स्कोर बनाए.
सचिन तेंदुलकर के पहले क्रिकेट कोच रमाकांत आचरेकर रहे. जिनके पास सचिन को ले जाने वाले और उनके अंदर छुपी प्रतिभा को पहचानने वाले शख्स सचिन के बड़े भाई अजीत तेंदुलकर थे. जब सचिन 16 साल के हुए तो पाकिस्तान के खिलाफ कराची (1989) में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया.
17 वर्ष की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक जमाया और इंग्लैंड के खिलाफ 1990 का ओल्ड ट्रैफर्ड टेस्ट हार से बचा लिया.
भारतीय टीम 1990 में इंग्लैंड टूर से वापस आ रही थी, उस दौरे पर सचिन भारत के लिए सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले बल्लेबाज़ भी बने थे. एयरपोर्ट पर अपनी मां को रिसीव करने आई अंजलि ने सचिन को देखा और वो उन्हें बहुत क्यूट भी लगे. तभी से वो उनको बहुत पसंद करने लगी थीं. वो न्यूजपेपर में से सचिन की फोटो के कट-आउट रखती थीं. अंजली तब एक कॉलेज स्टूडेंट थीं. वो इन फोटो को अपनी किताबों में रखती थीं ताकि वो जब भी किताब खोलें तो ये तस्वीरें देख सकें.
वर्ष 2000 में 50 इंटरनेशनल शतक बनानवाले वे पहले बल्लेबाज बने. 2003 वर्ल्ड कप में 673 रन बनाए, जो वर्ल्ड कप के इतिहास में सर्वाधिक रनों का रिकॉर्ड बना.
2008 में टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक रन बनाने के मामले में ब्रायन लारा को पीछे छोड़ा. 2009 में 14,000 टेस्ट रन, 30,000 इटरनेशनल रन और 90 अंतरराष्ट्रीय शतक पूरे कर लिये. 36 साल के होने पर ऐसा कारनामा किया,जो वनडे इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था. वनडे इंटरनेशनल का पहला दोहरा शतक जमाया. दिसंबर 2012 में वनडे से रिटायर होने से पहले सचिन ने 100 इंटनेशनल शतकों का अद्भुत रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया.
अंडर 16 में साल 2015 में शतक लगाकर सुर्खियों में आए अर्जुन तेंदुलकर को लेकर सचिन बहुत सतर्क रहते हैं. खासकर सचिन खुद और किसी को भी उनकी तारीफ करने से रोकते हैं. अर्जुन के शतक लगाने के बाद एक बार भारतीय खेल पत्रकार बोरिया मजूमदार सचिन के घर आए तो सचिन ने उन्हें अर्जुन की तारीफ करने से रोक दिया.
जब पहली बार अजीत, सचिन को आचरेकर सर के पास लेकर जाते हैं तो सचिन उनके सामने बल्लेबाज़ी करते हैं लेकिन वो अपने बल्ले से कोई कमाल नहीं कर पाते. जिसके बाद अजीत आचरेकर सर से कहते हैं कि सचिन उन्हें सामने देखकर नर्वस हो रहा है और आप थोड़ी देर के लिए नेट्स से दूर चले जाइये. जिसके बाद सचिन देखते हैं कि आसपास आचरेकर सर नहीं है और फिर सचिन जमकर बल्लेबाज़ी करते हैं. जिससे आचरेकर सर प्रभावित होते हैं. कोचिंग के दौरान आचरेकर सर, सचिन को एक दिन में दो अलग-अलग मैच खिलाने ले जाते थे और प्रेक्टिस के दौरान सचिन के इर्द-गिर्द 80 फील्डर तैनात कर देते थे. सचिन को उनसे आउट होने से बचना होता था जिसके लिए सचिन ज्यादा से ज्यादा ग्राउंड शॉट खेलते थे.
विनोद कांबली और सचिन ने स्कूल में एक साथ पढ़ाई की है। उन दिनों दोनों एक साथ स्कूल की टीम से क्रिकेट खेलते थे। हालांकि कामयाबी की दौड़ में सचिन तेंदुलकर विनोद कांबली से काफी आगे निकल गए।
साल 2009 में आए एक रियलिटी शो 'सच का सामना' से शुरू हुआ था। इस शो में कांबली ने कहा था कि सचिन तेंदुलकर उनके बचपन के दोस्त हैं, लेकिन क्रिकेट में जब कांबली का बुरा दौर चल रहा था, उस समय सचिन ने कभी उनकी मदद नहीं की। सचिन उन दिनों बुलंदियों पर थे और उन्हें कामयाबी से इतना लगाव हो गया कि वह अपने बचपन के दोस्त तक को भूल गए।
भारत रत्न से सम्मानित सचिन रमेश तेंदुलकर राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। इसके अलावा सचिन तेंदुलकर को इंडियन एयर फोर्स के ग्रुप कैप्टन के सम्मान से नवाजा गया है।
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