सिकंदराबाद के सिकंदर संतोष आनंद को मिला यश भारती पुरस्कार, जानिए उनके बेहतरीन गानों के बारे में
संतोष आनंद जब कलम थामते हैं तो प्रेम रोग से लेकर बहन के मोहब्बत तक को बयां करते हैं। कभी उनके गीतों में शराब का नशा झलकता है तो कभी मेघा रे मेघा रे से विरह का दर्द। उत्तर प्रदेश की धरती पर पैदा हुए इस गीतकार ने जब भी कलम से ज़िंदगी का फलसफा बयां किया तो घरी दो घरी की ज़िंदगी में मौहब्बत करने की सीख दी । क्रांति, शोर, रोटी, कपड़ा और मकान, प्रेमरोग जैसे अनेक फिल्मों में गीत लिखने वाले इस कलाकार को उत्तर प्रदेश सरकार ने यश भारती पुरस्कार देने की घोषणा की है। उन्होंने 26 फिल्मों में 109 गीत लिखे हैं। आइए जानते हैं संतोष आनंद के आनंदित करने वाले गीतों के बारे में
ज़िंदगी की न टूटे लड़ी, प्यार कर ले घड़ी दो घड़ी
गीत- इसे समझो न रेशम का तार भैया, ये है बहनों से भाईयों का प्यार भैयै
अरे कुछ नहीं, कुछ नहीं फिर कुछ नहीं है भाता जब रोग ये लग जाता मैं हूँ प्रेम रोगी.
गीत- हाय-हाय ये मजबूरी, ये मौसम और ये दूरी
गीत- मेघा रे मेघा रे, मत परदेस जा रे
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