Birthday Special: सिनेमा घरों से लेकर मंदिरों तक गूंजते हैं मोहम्मद रफी के गाने
700 फिल्मों के लिए करीब 26 हजार गाने और हर गाना ऐसा कि रूह को छू जाए। 'तुम मुझे यूं भुला न पाओगे... गीत गाने वाले मोहम्मद रफी साहाब ने जिस भी अभिनेता के लिए गाया उसी की आवाज बन गए। रफी साहाब के गाने में मानविय प्रेम से लेकर इश्वरिय प्रेम तक की झलक मिलती है। आज भी मोहब्बत में लड़के रफी साहब की ' गुलाबी आंखे जो तेरी देखी शराबी ये दिल हो गया' गाकर मोहब्बत का इजहार करते हुए मिल जाएंगे। दिल टूटता है तो,' आखरी गीत मोहब्बत का सुना लूं तो चलूं, मैं चला जाउंगा दो अश्क बहा लूं तो चलूं' इस गीत को गुनगुनाते हुए रोते हुए मिल जाते हैं। जब लोग बेहद खुश होते हैं तो 'रमैया वस्तावैया' पर जमकर नाचते हैं। मौहमद रफी के गानों में प्रेम भी है, बिछड़ने का दर्द भी है। उनके गीतों में ज़िंदगी का हर भाव समाया हुआ है। आपने रफी साहाब के फिल्मी गाने तो सुने ही होंगे आज उनके जन्मदिन पर हम आपको उनके उन गीतों के बारे में बताएंगे जो सिनेमा घरों में ही नहीं बल्कि मंदिरों में भी गूंजते हैं।
बैजू बावरा (1952)
बैजू बावरा (1952)
कोहिनूर (1960)
चित्रलेखा(1964)
गोपी(1970)
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