Under Ground Water: क्यों कम हो रहे हैं धरती से पानी, जानें कितना बचा है पृथ्वी में जल
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार सस्केचेवान यूनिवर्सिटी के साइंटिस्टों ने साल 2021 में एक रिसर्च की थी. इस रिसर्च का मकसद था जानना कि आखिर पृथ्वी में कितना पानी बचा है.
नई दिल्ली:
Under Ground Water: पृथ्वी का ऊपरी सतह पानी से भरा हुआ है. कहा जाता है कि इसके तीन भाग में पानी है और ए भाग में जमीन. इसका मतलब है कि धरती के 70 प्रतिशत भाग में पानी भरा हुआ है इसके बाद भी लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ता है. इसके पीछे की वजह है कि धरती का ज्यादातर पानी खारा है. वहीं, 1 फिसदी से भी कम पानी पीने के लायक है. लोग पानी पीने के लिए ट्यूबवेल, कुआं, नदी या फिर भूजल का उपयोग किया जाता है. लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
कई रिसर्च की रिपोर्ट बता चूकी है आने वाले कुछ सालों में अंडरग्राउंड वाटर खत्म हो जाएगा. इसका असर दुनिया के कई मुल्कों पर पड़ रहा है. आपको बता दें कि भारत इससे अछूता नहीं रहा है. आईटी हब बेंगलुरु में पानी का संकट लोगों पर पड़ रहा है. यहां के कई इलाकों में अब टैंकरों से पानी पहुंचाने का काम किया जा रहा है. लेकिन पानी का संकट क्यों होता है और ये कब तक धरती से खत्म हो जाएगा.
धरती में 312 मिलियन क्यूबिक मील पानी
लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार सस्केचेवान यूनिवर्सिटी के साइंटिस्टों ने साल 2021 में एक रिसर्च की थी. इस रिसर्च का मकसद था जानना कि आखिर पृथ्वी में कितना पानी बचा है. इस रिसर्च के जरिए जानकारी मिली की महासागरों में सबसे अधिक पानी जमा है. रिपोर्ट की माने तो यहां करीब 312 मिलियन क्यूबिक मील पानी का भंडार है. इतना ही नहीं जमीन के भीतर यानी कोर में करीब 43.9 मिलियन क्यूबिक किलोमीटर जल भरा हुआ है. इसका मतलब हुआ कि दोनों को जोड़ दिया जाए तो ये धरती का एक चौथाई हिस्सा पानी से भरा हुआ है. इतना ही नहीं अंटार्कटिका में जो बर्फ जमी है उसमें करीब 6.5 मिलियन क्यूबिक मील पानी है.
पानी खत्म होने की वजह
रिपोर्ट की मानें तो जमीन के अंदर मौजूद सारा पानी पीने के लिए सही है और इसे आसानी से पिया जा सकता है. रिपोर्ट की माने तो जो भी पानी हम जमीन के अंदर का उपयोग करते हैं वो हमेशा से ही जमीने के अंदर भरा हुआ है. वहीं पानी निकाले जाने के बाद बारिश के साथ ही वापस भर जाता है. लेकिन वर्तमान समय में देखा जा रहा है कि लोग घर या किसी भी तरह का निर्माण करने से खाली जगह नहीं बची है. इससे बारिश का पानी नालियों या किसी अन्य तरीके से समुद्र तक पहुंच जा रहा है. इसकी वजह से अंडर ग्राउंड पानी की कमी हो रही है.