10 प्वाइंट में जानें निर्भया के दोषियों को फांसी देने के लिए पवन जल्लाद क्यों है तिहाड़ जेल प्रशासन की पहली पसंद
तिहाड़ जेल ने UP जेल महानिदेशालय को दोबारा चिट्ठी लिखकर निर्भया के दोषियों की फांसी के लिए प्रशिक्षित जल्लाद को प्राथमिकता से तलाशने का आग्रह किया है.
News Nation Bureau
09 Jan 2020, 02:40:48 PM (IST)
नई दिल्ली:
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने के लिए उत्तर प्रदेश का पवन जल्लाद तिहाड़ जेल प्रशासन की पहली पसंद है. तिहाड़ जेल ने UP जेल महानिदेशालय को दोबारा चिट्ठी लिखकर निर्भया के दोषियों की फांसी के लिए प्रशिक्षित जल्लाद को प्राथमिकता से तलाशने का आग्रह किया है. इस गोपनीय पत्र के मजमून के अनुसार तिहाड़ जेल प्रशासन पवन जल्लाद से ही निर्भया के मुजरिमों को फांसी दिलवाने का इच्छुक दिख रहा है. 20 दिन पहले भी तिहाड़ जेल महानिदेशालय ने यूपी जेल डिपार्टमेंट से ऐसा ही आग्रह किया था. दुबारा लिखी गई चिट्ठी में डेथ वारंट का भी जिक्र किया गया है. जानें पवन जल्लाद क्यों तिहाड़ जेल प्रशासन की पहली पसंद बना हुआ है.
- पहली वजह है कि पवन पुश्तैनी जल्लाद है. शरीर से मजबूत है.
- उसने पुरखों के साथ फांसी देने-दिलवाने का काम सीखा है.
- फांसी देते वक्त पवन जल्लाद से किसी भूल की गुंजाइश न के बराबर होगी.
- पवन की आंखों की रोशनी भी ठीक है
- पवन जल्लाद मेरठ में रहता है जो दिल्ली के करीब है. ऐसे में पवन को लाने-जाने के वक्त भी ज्यादा देर का जोखिम तिहाड़ जेल प्रशासन को नहीं उठाना पड़ेगा.
- जरूरत पड़ने पर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा में पवन जल्लाद को तिहाड़ प्रशासन दिल्ली ला सकता है.
- पवन जल्लाद ने कहा, मैं खानदानी जल्लाद हूं. इसमें मुझे शर्म नहीं लगती. मेरे परदादा लक्ष्मन जल्लाद, दादा कालू राम जल्लाद, पिता मम्मू जल्लाद थे. मतलब जल्लादी के इस खानदानी पेशे में मैं अब चौथी पीढ़ी का इकलौता जल्लाद हूं.
- पवन ने पहली फांसी दादा कालू राम जल्लाद के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाइयों को दी थी. उस वक्त मेरी उम्र यही कोई 20-22 साल रही होगी. अब वह 58 साल का हो चुका है. दादा के साथ अब तक जिंदगी में पांच खूंखार मुजरिमों को फांसी पर टांग चुका है.
- दादा कालू राम के साथ आखिरी फांसी उसने बुलंदशहर के दुष्कर्म और हत्यारोपी मुजरिम को 1988 के आसपास लगाई थी. वह फांसी आगरा सेंट्रल जेल में लगाई गई थी.
- पवन को उत्तर प्रदेश सरकार से 5 हजार रुपये महीने मिलते हैं. आजकल एक फांसी लगाने का दाम 25 हजार रुपये मिलते हैं.