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आशीष खेतान ने भी छोड़ा AAP का साथ, कुमार विश्वास का अरविंद केजरीवाल पर तंज - चंद्र गुप्त बनाने निकले थे चंदा गुप्ता बन गए

आशीष खेतान के पार्टी छोड़ने की खबरों पर आज ट्वीटर के जरिए खेतान ने साफ किया है कि उन्होंने अपने वकालक को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय राजनीति से दूरी बनाई है

News Nation Bureau
| Edited By :
22 Aug 2018, 01:44:02 PM (IST)

नई दिल्ली:

पत्रकार से नेता बने आशुतोष के आम आदमी पार्टी छोड़ने के बाद अब दूसरे बड़े नेता आशीष खेतान ने भी पार्टी से दुरी बना ली है। AAP छोड़ने की खबरों पर आज ट्वीटर के जरिए खेतान ने साफ किया है कि उन्होंने अपनी वकालक को आगे बढ़ाने के लिए सक्रिय राजनीति से दूरी बनाई है और बाकी सब एक्सट्रपलेशन है। वहीं दूसरे ट्वीट में खेतान ने कहा है कि मैंने वकालत के लिए डीडीसी से अप्रैल में ही इस्तीफा दे दिया था। बस इतना ही है और अफवाहों में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है।

आशुतोष के तुरंत बाद खेतान के भी पार्टी से दूरी बना लेने पर आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजेरीवाल से नाराज चल रहे कवि और नेता कुमार विश्वास ने निशाना साधा है।

कुमार विश्वास ने व्यंग के लहजे में सोशल मीडिया ट्विटर पर लिखा है कि हम तो चंद्र गुप्त बनाने निकले थे हमें क्या पता था चंदा गुप्ता बन जाएगा। यहां केजरीवाल की तुलना चंद्र गुप्त और चंदा गुप्ता से की गई है।

हम तो “चँद्र गुप्त” बनाने निकले थे हमें क्या पता था “चँदा गुप्ता” बन जाएगा😳🙏

— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) August 22, 2018

ऐसी भी रिपोर्ट सामने आई है कि खेतान को पार्टी से जोड़े रखने के लिए आम आदमी पार्टी ने उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में ऩई दिल्ली से चुनाव लड़ने का ऑफर भी दिया है। साल 2014 में भी खेतान चुनाव लड़े थे लेकिन वो बुरी तरह हार गए थे।

सब साथ चले, सब उत्सुक थे, तुमको आसन तक लाने में !
कुछ सफल हुए ‘निर्वीर्य’ तुम्हें यह राजनीति समझाने में !
इन आत्मप्रवंचित बौनों का दरबार बनाकर क्या पाया ?
जो शिलालेख बनता उसको अख़बार बनाकर क्या पाया ?😳😡
(एक और आत्मसमर्पित क़ुरबानी)🙏August 22, 2018

वहीं दूसरी तरफ नाराजगी के बाद पार्टी छोड़ने वाले आशुतोष ने भी निजी कारण बता कर आम आमदी पार्टी से किनारा कर लिया था।

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विश्वास ने इस पर भी ट्वीटर पर एक कविता लिखकर केजरीवाल पर तंज कसा था और कहा था कि एक और आत्मसमर्पित क़ुरबानी ली गई है। उन्होंने लिखा, सब साथ चले, सब उत्सुक थे, तुमको आसन तक लाने में! कुछ सफल हुए ‘निर्वीर्य’तुम्हें यह राजनीति समझाने में ! इन आत्मप्रवंचित बौनों का दरबार बनाकर क्या पाया? जो शिलालेख बनता उसको अख़बार बनाकर क्या पाया ?

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हालांकि केजरीवाल ने आशुतोष का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था और कहा था कि हम सब आपसे बहुत प्यार करते हैं हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर लें। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वरिष्ठ नेताओं का यूं साथ छोड़ना आम आदमी पार्टी को आने वाले समय में महंगा पड़ सकता है।