त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार का आरोप, डीडी और AIR ने नहीं प्रसारित किया उनका भाषण
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार का आरोप है कि स्वतंत्रता दिवस पर उनके भाषण को दूरदर्शन और आकाशवाणी ने प्रसारित करने से मना कर दिया।
नई दिल्ली:
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार का आरोप है कि स्वतंत्रता दिवस पर उनके भाषण को दूरदर्शन और आकाशवाणी ने प्रसारित करने से मना कर दिया। साथ ही उनपर भाषण को बदलने का दबाव बनाया और कहा कि बदलाव करने के बाद ही इसे प्रसारित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने इसे 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु कदम' करार दिया है।
प्रसार भारती की तरफ से इस संबंध में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। दूरदर्शन और आकाशवाणी प्रसार भारती के तहत आते हैं।
त्रिपुरा सरकार की तरफ से जारी एख बयान में कहा गया है कि दूरदर्शन और आकाशवाणी ने 12 अगस्त को मुख्ययमंत्री माणिक सरकार का भाषण रिकॉर्ड किया था। लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखकर सूचित किया गया कि उनके भाषण को नया रूप देने के बाद ही प्रसारित किया जाएगा।
पत्र में कहा गया था, 'मुख्यमंत्री के संदेश को जांचा गया। लेकिन समारोह और प्रसारण के नियमों और पब्लिक ब्रॉडकास्टर की जिम्मेदारी को देखते हुए इसे प्रसारित करना संभव नहीं होगा।'
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मुख्यमंत्री कार्यालय ने दावा किया है, 'मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा है कि वह अपने भाषण का एक भी शब्द भी नहीं बदलेंगे और इस कदम को उन्होंने 'अलोकतांत्रिक, निरंकुश और असहिष्णु' करार दिया।'
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि दूरदर्शन, आरएसएस और बीजेपी की 'निजी संपत्ति' नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने करीबियों को निर्देश दिया है कि वो विपक्ष की आवाज को दबा दें। जिसमें कि एक निर्वाचित मुख्यमंत्री शामिल हैं।
सीपीएम पोलित ब्यूरो के एक बयान में कहा गया, 'दूरदर्शन और एआईआर का माणिक सरकार के भाषण को प्रसारित करने से इनकार किये जाने की निंदा करती है।'
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सीपीएम ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'दूरदर्शन ने त्रिपुरा के सीएम माणिक सरकार का भाषण प्रसारित करने से इनकार किया। क्या प्रधानमंत्री मोदी इसी सहयोगात्मक संघवाद की बात करते हैं? शर्म की बात है।'
येचुरी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि चैनल का माणिक सरकार का भाषण प्रसारित करने से मना करना 'गैरकानूनी' है और उनके अधिकारों का हनन है।
पार्टी ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अगर यह तानाशाही और अघोषित आपातकाल नहीं है तो क्या है? सीपीएम, त्रिपुरा की जनता और हमारे सभी नागरिक इससे लड़ेंगे।'
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