ग्वादर में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, 17वें दिन भी जारी रहा विरोध प्रदर्शन
ग्वादर में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, 17वें दिन भी जारी रहा विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली:
पाकिस्तान के ग्वादर में बुधवार को 17वें दिन भी महिलाओं और बच्चों समेत हजारों लोगों ने स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने और ट्रॉलर माफिया को खत्म करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रखा। यह जानकारी डॉन की रिपोर्ट में दी गई।
जमात-ए-इस्लामी के एक स्थानीय नेता मौलाना हिदायत-उर-रहमान के नेतृत्व में चल रहे ग्वादर को हुकूक दो तहरीक (ग्वादर आंदोलन को अधिकार दें) में ग्वादर, तुर्बत, पिश्कन, जमरान, बुलेदा, ओरमारा और पासनी के प्रदर्शनकारी हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने मांगें पूरी होने तक धरना जारी रखने का संकल्प लिया है।
इससे पहले, डॉन न्यूज कार्यक्रम में रहमान ने कहा कि जब 2002 में ग्वादर बंदरगाह का उद्घाटन किया गया था और फिर जब चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) पर काम शुरू हुआ, तो ग्वादर के लोगों को बताया गया कि ये परियोजनाएं प्रांत को ही नहीं, बल्कि पूरे पाकिस्तान को बदल देंगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, लेकिन ग्वादर के निवासियों के पास पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा उपचार की सुविधा या रोजगार नहीं है और न ही उनका सम्मान किया जा रहा है .. बलूचिस्तान पर सीपीईसी का एक पैसा भी खर्च नहीं किया गया। इसके बजाय हमें शव मिले।
रहमान ने कहा कि प्रदर्शनकारी बलूचिस्तान सरकार से रोजगार के अवसर नहीं मांग रहे हैं, बल्कि उनके पास पहले से मौजूद आजीविका के साधन- मछली पकड़ने के लिए सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। संघीय व प्रांतीय सरकारें और प्रभावशाली लोग ट्रॉलर माफिया को संरक्षण दे रहे हैं।
उन्होंने मांग की, हमें आजीविका कमाने की अनुमति दो, हमें सम्मान दो।
मछली पकड़ने वाले ट्रॉलरों के खिलाफ कार्रवाई पर बलूचिस्तान के मंत्री बुलेदी के बयान के बारे में बात करते हुए रहमान ने कहा, वे (सरकार) हमें बार-बार आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन वे बेबसी की तस्वीर हैं और यह स्पष्ट है कि ट्रॉलर माफिया प्रांतीय सरकार की तुलना में अधिक शक्तिशाली हैं। वे (सरकार) हमें बार-बार कोरा आश्वासन दे रहे हैं। हमारे समुद्री जीवन को विलुप्त होने की ओर ले जा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने स्वच्छ पेयजल की कमी पर अफसोस जताया और कहा कि प्रौद्योगिकी के युग में बलूचिस्तान के निवासी जो समुद्र तट के किनारे रह रहे थे, वे पानी को देख सकते हैं, लेकिन पी नहीं सकते।
रहमान ने कहा, ग्वादर से कुछ दूरी पर एक क्षेत्र में एक [डिसैलिनेशन] परियोजना थी। कहा गया था कि इससे प्रतिदिन 20,000 गैलन पीने का पानी उपलब्ध होगी। मगर नमक निकालकर 20 गिलास शुद्ध पानी भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर एक अरब रुपये खर्च किए गए थे।
रहमान ने जिक्र किया कि पाकिस्तान-ईरान सीमा के पास रहने वाले बलूचिस्तान के लोगों के पड़ोसी देश में परिवार थे और उनके आंदोलन पर प्रतिबंध लगाना उन्हें अलग करने के जैसा होगा। उन्होंने कहा, हमें ईरान के साथ सीमा पर सस्ता सामान मिलता है। हम प्रतिबंधों और सुरक्षा जांच चौकियां बनने से पहले उनसे सामान अपने उत्पादों की तुलना में 500 फीसदी कम कीमत पर हासिल करते थे।
रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, अगर हम एक [तरल] सीमा से लाभान्वित हो रहे हैं, तो इसके लिए कानून बनाना सरकार की जिम्मेदारी है। जब एक व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए हमारे संविधान में रातोरात संशोधन किया जा सकता है, तो [विधायक] पूरी जनता के लाभ के लिए धरना पर क्यों नहीं बैठ सकते?
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