.

Loan Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, आम आदमी की दीवाली आपके हाथ में है

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहरा कि आम आदमी की दीवाली आपके हाथ में है. इसलिए आपको जल्द से जल्द ब्याज माफी योजना को लागू करना चाहिए. 

News Nation Bureau
| Edited By :
14 Oct 2020, 08:16:35 PM (IST)

नई दिल्ली :

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को लोन मोरटोरियम सुविधा लेने वाले कर्जदारों पर लगने वाले ब्याज पर ब्याज की माफी योजना मामले में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहरा कि आम आदमी की दीवाली आपके हाथ में है. इसलिए आपको जल्द से जल्द ब्याज माफी योजना को लागू करना चाहिए. 

इसके साथ ही कोर्ट ने आम आदमी को राहत देते हुए मोरेटोरियम सुविधान लेने वालों को 15 नंबर तक ब्याज पर ब्याज नहीं देने का आदेश दिया है. जस्टिस अशोक भूषण की अगुवाई में जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की बेंच अपने उस अंतरिम आदेश की अवधि बढ़ा दी जिसमे कहा गया था कि अगले आदेश तक कोई भी खाता एनपीए घोषित नहीं किया जायेगा. 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मोदी सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई टालने का आग्रह किया. इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि कुल 8 कैटेगरी में 2 करोड़ रुपये से ज्यादा के लोन पर ब्‍याज माफी नहीं की जा सकती है. 

इसे भी पढ़ें:जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को मोदी सरकार का तोहफा, दिया 520 करोड़ रुपये का पैकेज

वहीं, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सरकार को इस मामले में सही एक्शन प्लान लेकर आने को कहा है. इसके बाद मामले की सुनवाई 2 नवंबर तक टाल दी गई. कोर्ट ने कहा कि सरकार को ब्याज पर ब्याज माफी स्कीम जल्द से जल्द लागू करना चाहिए. उसे एक महीने का वक्त क्यों चाहिए.  सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही कहा कि अगर सरकार इस पर फैसला ले लेगी तो हम तुरंत आदेश पारित कर देंगे. 

इस पर सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि सभी लोन अलग-अलग तरीके से दिए गए हैं. इसलिए सभी से अलग-अलग तरीके से निपटना होगा. फिर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि ब्याज पर ब्याज माफी स्‍कीम को लेकर 2 नवंबर तक सर्कुलर लाया जाए.  जिस पर सॉलिसिटर जनरल ने हामी भर दी. 

और पढ़ें:भूटान और बांग्लादेश से भी GDP में पीछे जा सकता है भारत! जानिए कैसे

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने दूसरे क्षेत्रों के अलावा व्यक्तिगत कर्जो को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि महामारी के दौरान व्यक्तिगत रूप से लोगों पर ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ा है. उनका कहना था कि बैंक कर्जदारों के खातों से ब्याज और बयाज पर ब्याज लगा रहे हैं और क्रेडिट रेटिंग भी घटाई जा रही है जिसका विभिन्न खातेदारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

क्रेडाई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वर्तमान कर्ज के पुनर्गठन से 95 कर्जदारों को राहत नहीं मिलेगी. उन्होंने मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया. कर्जदारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव दत्ता ने कहा कि बैंक चक्रवृद्धि ब्याज वसूल कर रहे हैं और अब अगर कर्ज का पुनर्गठन किया जा रहा है तो यह जल्दी होना चाहिए.