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राजनाथ, पीयूष गोयल से असहमत यशवंत, बोले- नहीं मानता भारत विश्व अर्थव्यवस्था की रीढ़

नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी थी, ऐसे में केंद्र सरकार को जीएसटी तुरंत लागू नहीं करना चाहिए था।

News Nation Bureau
| Edited By :
28 Sep 2017, 02:37:30 PM (IST)

नई दिल्ली:

पूर्व वित्त मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार पर रोजगार में कमी और गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर एक बार फिर से निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि वो अपने लेख वाले स्टेटमेंट पर अब भी कायम हैं।

गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए सिन्हा ने कहा है कि आज देश में रोजगार की कमी है क्येंकि देश की अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो रही है। लेकिन इसके लिए सिर्फ पहले की सरकार को ही दोष नहीं दिया जा सकता।

सिन्हा ने कहा कि आर्थिक गति कम होने की वजहों का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल नहीं है और इससे निपटने के लिए उपाय उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन इसके लिए कार्य पूरा करने के लिए समय देने, दिमाग का गंभीरता से उपयोग, मुद्दे को समझने और तब इससे निपटने के लिए योजना बनाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि मैने भी 40 महीने काम किया है इसलिए मैं कह सकता हूं कि पिछले तीन साल के दौरान अर्थव्यवस्था की रफ़्तार काफी धीमी रही है।

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उन्होंने आगे कहा कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था की रफ़्तार धीमी थी, ऐसे में केंद्र सरकार को जीएसटी तुरंत लागू नहीं करना चाहिए था।

यशवंत सिन्हा ने राजनाथ सिंह और पियूष गोयल पर तंज कसते हुए कहा, 'वो मुझसे बेहतर अर्थव्यवस्था समझते हैं। शायद इसलिए उन्हें लगता है कि भारत की अर्थव्यवस्था पूरे विश्व के लिए रीढ़ की हड्डी है।'

Maybe Rajnath Singh & Piyush Goyal know economy more than me, so they think India is backbone of world's economy. I politely disagree: Sinha pic.twitter.com/bfP2Rtd51G

— ANI (@ANI) September 28, 2017

उन्होंने कहा, 'सबसे पहला टास्क जो इस सरकार के पास था कि वौ बैंक्स की हालत का सुधार करो, जिसका हमलोग अभी तक इंतज़ार ही कर रहे हैं।'

Sabse pehla task jo is sarkar ke paas tha ki Banks ki haalat ka sudhaar karo, jiska hum log abhi tak intezaar hi kar rahe hain: Y Sinha pic.twitter.com/Tb0ZQ9xQh2

— ANI (@ANI) September 28, 2017

बता दें कि इससे पहले बुधवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने 'सुपरमैन' वित्तमंत्री अरुण जेटली पर भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बिगाड़ने और इसके बाद उत्पन्न 'आर्थिक सुस्ती' से कई सेक्टरों की हालत खस्ता होने के लिए निशाना साधा था।

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अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के संपादकीय पृष्ठ पर प्रकाशित लेख में सिन्हा ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दावा करते हैं कि उन्होंने बहुत करीब से गरीबी को देखा है और उनके वित्तमंत्री भी सभी भारतीयों को गरीबी करीब से दिखाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं।

सिन्हा ने कहा है जेटली अपने पूर्व के वित्त मंत्रियों के मुकाबले बहुत भाग्यशाली रहे हैं। उन्होंने वित्त मंत्रालय की बागडोर उस समय हाथों में ली, जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल कीमत में कमी के कारण उनके पास लाखों-करोड़ों रुपये की धनराशि थी। लेकिन उन्होंने तेल से मिले लाभ को गंवा दिया।

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उन्होंने कहा कि विरासत में मिली समस्याएं, जैसे बैंकों के एनपीए और रुकी परियोजनाएं निश्चित ही उनके सामने थीं, लेकिन इससे सही ढंग से निपटना चाहिए था। विरासत में मिली समस्या को न सिर्फ बढ़ने दिया गया, बल्कि यह अब और खराब हो गई है।

सिन्हा ने भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दो दशकों में पहली बार निजी निवेश इतना कम हुआ और औद्योगिक उत्पादन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कृषि की हालत खस्ता हाल है, विनिर्माण उद्योग मंदी के कगार पर है और अन्य सेवा क्षेत्र धीमी गति से आगे बढ़ रहा है, निर्यात पर बुरा असर पड़ा है, एक बाद एक सेक्टर संकट में है।

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