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S. Africa के राष्‍ट्रपति सीरिल रमाफोसा हो सकते हैं Republic Day Ceremony के मुख्‍य अतिथि

दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति सीरिज रमाफोसा गणतंत्र दिवस पर भारत के मुख्‍य अतिथि हो सकते हैं. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. इससे पहले अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने समय की कमी का हवाला देते हुए भारत के न्‍यौते को अस्‍वीकार कर दिया था.

News Nation Bureau
| Edited By :
15 Nov 2018, 10:59:28 AM (IST)

नई दिल्ली:

दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति सीरिज रमाफोसा गणतंत्र दिवस पर भारत के मुख्‍य अतिथि हो सकते हैं. एएनआई ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. इससे पहले अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने समय की कमी का हवाला देते हुए भारत के न्‍यौते को अस्‍वीकार कर दिया था. अमेरिका ने इस पर अपनी सफाई भी दी थी. भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर ने अमेरिका का रुख़ स्पष्ट करते हुए कहा था, ‘यह पूरी तरह से समय का मुद्दा है. इसे और किसी रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.’

कुछ माह पहले पीटीआई के हवाले से बताया गया था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 26 जनवरी 2019 में होने वाले गणतंत्र दिवस परेड के मुख्य अतिथि हो सकते हैं. हालांकि बाद में कहा गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के न्योते को अस्वीकार करते हुए गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनने से इनकार कर दिया है.

It is completely a scheduling issue. Right now there is no Speaker of the House that has even been selected: Kenneth Juster US Ambassador to India on being asked about US president Donald Trump declining India's invitation to be the chief guest at 2019 Republic Day celebrations pic.twitter.com/uUD4zIoK1a

— ANI (@ANI) November 1, 2018

इसके बाद कांग्रेस ने मंगलवार को इसे ‘कूटनीतिक नासमझी’ करार देते हुए कहा कि देश को इस शर्मिंदगी से बचाया जा सकता था. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा था, “इस बात को याद करना महत्वपूर्ण है कि भारत सरकार ने जब भी अपने प्रधानमंत्री के माध्यम से किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्ष को गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है, उसे कभी ठुकराया नहीं गया है और सरकार तभी निमंत्रण भेजती है, जब वह सुनिश्चित हो जाती है कि उसे स्वीकार किया जाएगा. कूटनीतिक माध्यम इसी तरीके से काम करते हैं.”