सपा की कलह का पार्टी का बैनर बेचने वालों पर पड़ा असर, चुनाव आयोग के फैसले पर टिकी निगाहें
समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह का असर सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ताओं पर ही नहीं बल्कि बैनर और पोस्टर बेचने वालों पर भी पड़ रहा है।
नई दिल्ली:
समाजवादी पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी कलह का असर सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ताओं पर ही नहीं बल्कि बैनर और पोस्टर बेचने वालों पर भी पड़ रहा है। चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक पार्टी के लिए पोस्टर और बैनर बनाने वालों का धंधा तेजी पकड़ लेता है। लेकिन पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर पिता-पुत्र की लडाई अगर जल्द खत्म ना हुई तो इनका नुकसान हो सकता हैं।
16 जनवरी को समाजवादी पार्टी पर चुनाव आयोग के फैसले पर इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की भी नजर है। उनको सबसे बड़ा डर यह है कि अगर साइकल चुनाव चिह्न फ्रीज होता है तो उनकी दुकानों में भरे साइकल वाले झंडों और टोपियों का क्या होगा?
एक दुकानदार के अनुसार,' हम केवल समाजवादी पार्टी के पोस्टर, बैनर और टोपी बनाते है। पार्टी में चल रहे झगड़े की वजह से पहले से ही काफी नुकसान हो चुका है।'
विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद भी अभी तक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच सहमति नहीं बन पाई है। दोनों ने ही पार्टी के चुनाव चिन्ह को लेकर अपना दावा ठोंका हैं। जिसपर चुनाव आयोग दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है।
बता दें कि पार्टी के नैशनल प्रेसिडेंट के पद से हटाए जाने के बाद मुलायम ने अपने पक्ष में बहुमत जुटाने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। वहीं अखिलेश को करीब 200 से अधिक विधायकों का समर्थन मिला।