पश्चिम बंगाल चुनावः क्या भाजपा के बंगाल विजय के आध्यात्मिक महारथी बन सकेंगे मिथुन
क्या भाजपा का बंगाल विजय का सपना पूरा होगा, क्या इस सपने को पूरा करने में मिथुन चक्रवर्ती की कोई अहम भूमिका होगी
highlights
- मिथुन का वामपंथी राजनीति से लगाव रहा है
- भागवत से यह पहली मुलाकात नहीं है
- पूर्व में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं
मुंबई:
भारतीय जनसंघ के वक्त से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदूवादी संगठन का बंगाल विजय का सपना रहा है. और जनसंघ की राजनीतिक उत्तराधिकारी भाजपा के 2014 में सत्ता आने के बाद संघ और भाजपा पूरे जोर शोर के साथ पश्चिम बंगाल को जीतने की कवायद में लगे हैं. भाजपा बंगाल विजय कर अपने पितृ पुरूष श्यामा प्रसाद मुखर्जी को राजनीतिक श्रद्धांजलि देना चाहती है. भाजपा अपनी इस कवायद में कोई कसर नहीं छोडना चाहती है इसलिए उसने खास योजना तैयार की है. माना जाता है कि बंगाल में जीत उसे ही मिलेगी जिसकी बंगाल के साहित्य और सांस्कृतिक जगत में पैठ मजबूत होगी.
भद्र बंगाली को बंगाल का सबसे अहम ओपिनियन मेकर माना जाता है. इसलिए भाजपा ने पिछले काफी अरसे से बांग्ला जगत के कलाकारों और लेखकों अपनी पार्टी में अहम जगह दी है .रुपा गांगुली और बाबुल सुप्रियो इसका एक जीता जागता उदाहरण हैं. इसी कडी में एक नया नाम राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता और बॉलीवुड अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती जोडा जा रहा है. यह माना जा रहा है कि भाजपा अब मिथुन चक्रवर्ती को बंगाल में अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है.
ऐसी अटकलों के बीच खबर आई है कि पश्चिम बंगाल चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत और दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की मंगलवार सुबह मुलाकात हुई. यह मुलाकात मिथुन के मुंबई स्थित घर में हुई. मिथुन ने इस मुलाकात को बेहद निजी और आध्यात्मिक बताया है.
मिथुन चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा कि हमारा आपस में बहुत गहरा आध्यात्मिक रिश्ता है बस इसी वजह से यह मुलाकात हुई है. मिथुन ने कहा कि हमारी पहले बात हुई थी कि जब भी वह मुंबई आएंगे तो हम जरूर मिलेंगे. मोहन भागवत जी मेरे घर पर आये इसका मतलब यह है कि वह मुझे और मेरे परिवार को बहुत प्यार करते हैं. इस मुलाकात को राजनीति से जोड़कर बिल्कुल ना देखा जाए. राजनीति से इसका दूर-दूर तक कोई भी लेना देना नहीं है. अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती और संघ प्रमुख भागवत की आध्यात्मिक कही जाने चाली मुलाकात कई अर्थों में अहम है.
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भागवत और मिथुन की यह पहली मुलाकात नहीं है. भागवत मिथुन की मुलाकात का सिलसिला नागपुर,लखनऊ से होते हुए मुंबई पहुंचा है. और जानकारों का मानना है कि इस मेल मुलाकात असली गंतव्य पश्चिम बंगाल है. गौरतलब है कि इससे पहले अक्तूबर 2019 में भी मोहन भागवत और मिथुन चक्रवर्ती ने मुलाकात की थी. यह मुलाकात नागपुर स्थित संघ के कार्यालय में हुई थी. उस दौरान मिथुन ने संघ के संस्थापक डॉ हेडगेवार की प्रतिमा को फूल चढ़ाया था.
भागवत और दिग्गज अभिनेता मिथुन की इस मुलाकात ने इन खबरों को हवा दे दी है कि पांच वर्ष के अंतराल के बाद वे फिर से राजनीति में वापसी कर सकते हैं. हालांकि अभिनेता ने राजनीति में वापसी की सभी अफवाहों को खारिज किया है. उन्होंने कहा है कि वे कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की यात्रा के दौरान भागवत से मिले थे, लिहाजा मुंबई आने पर उन्होंने उनसे मुलाकात की. ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि मिथुन चक्रवर्ती भाजपा में शामिल हो सकते हैं. इससे पहले भी मिथुन के बारे में ऐसी खबरें सामने आती रही हैं.
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वाम राजनीति से था लगाव
मालूम हो कि अभिनय की दुनिया में आने से पहले मिथुन, वामपंथी आंदोलन में सक्रिय थे. कहा जाता है कि उनकी नक्सली आंदोलन से हमदर्दी थी. बाद में वह माकपा(मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के करीब भी रहे ,हालांकि वह कभी पार्टी सदस्य नहीं रहे. माकपा नेता सुभाष चक्रवर्ती से उनके अच्छे संबंध रहे हैं लेकिन बंगाल में वामपंथियों के सत्ता में बाहर होने के बाद से उनका झुकाव ममता की टीएमसी की ओर हो गया.
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टीएमसी के पूर्व सांसद रह चुके हैं मिथुन
बता दें कि मिथुन चक्रवर्ती पूर्व में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के सांसद रह चुके हैं. हालांकि लगातार सदन में गैरहाजिर रहने की वजह से उन्होंने खुद ही राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. अब एक बार फिर से मिथुन चक्रवर्ती पर बीजेपी डोरे डालते हुए नजर आ रही है.