AAP में गुटबाजी, राज्यसभा भेजे जाने की मांग पर कुमार विश्वास बोले- अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है
कुमार विश्वास चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजे। हालांकि पार्टी में इसपर सहमति नहीं बन पायी है। आप पार्टी से बाहर के लोगों को राज्यसभा भेजना चाहती है।
नई दिल्ली:
दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) में वर्चस्व की लड़ाई अब सड़कों पर भी दिखने लगी है। पार्टी संयोजक कुमार विश्वास के समर्थकों ने उन्हें राज्यसभा भेजने की मांग को लेकर दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी मुख्यालय में नारे लगाए।
कवि कुमार विश्वास के समर्थकों का गुरुवार सुबह से ही पार्टी ऑफिस में जुटान शुरू हो गया। इस बीच उन्होंने ट्वीट कर कार्यकर्ताओं से शांति रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि याद रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है।
कुमार विश्वास ने ट्वीट कर कहा, 'मैंने आपसब से हमेशा कहा है, पहले देश, फिर दल और फिर व्यक्ति। आम आदमी पार्टी मुख्यालय पर जमा कार्यकर्ताओं से निवेदन है कि 26 नवंबर की मेरी अपील पर गौर करें। स्वराज, बैक टु बेसिक्स और पारदर्शिता के मुद्दों के लिए संघर्ष करें, मेरे हित-अहित के लिए नहीं। याद रखिए अभिमन्यु के वध में भी उसकी विजय है।'
आप नेता के ट्वीट के बाद उनके समर्थक पार्टी मुख्यालय से हटे।
आपको बता दें कि कुमार विश्वास चाहते हैं कि पार्टी उन्हें राज्यसभा भेजे। हालांकि पार्टी में इसपर सहमति नहीं बन पायी है। आप पार्टी से बाहर के लोगों को राज्यसभा भेजना चाहती है।
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आप ने पिछले कुछ महीने पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को राज्यसभा टिकट देने के लिए संपर्क साधा था। हालांकि बाद में राजन ने ऑफर को ठुकरा दिया था।
दरअसल, आम आदमी पार्टी की कोशिश है कि इस कदम से गुटबाजी पर रोक लगेगी। अगर आप बाहरी लोगों को मनोनीत करती है तो पार्टी नेताओं को दबाव बनाने में मुश्किल आएगी।
आपको बता दें की दिल्ली में तीन राज्यसभा सीट है। जहां से कांग्रेस के कोटे से तीन सांसद जनार्दन द्विवेदी, परवेज हाशमी, कर्ण सिंह सांसद हैं। तीनों का कार्यकाल अगले साल जनवरी में खत्म हो रहा है।
दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में आम आदमी पार्टी के 66 विधायक हैं। ऐसे में 'आप' सभी तीन सीटों पर अपने उम्मीदवार भेजेगी।
नाराज हैं विश्वास
कुमार विश्वास आप विधायक अमानतुल्लाह खान के निलंबन वापसी समेत पार्टी से कई मुद्दों पर नाराज हैं। खान ने कुमार विश्वास को बीजेपी का एजेंट करार दिया था।
कवि विश्वास का मानना है कि पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व में से कुछ नेता उन्हें अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं।
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