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डरी कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट से वापस ले सकती है स्पीकर की याचिका, मामला फंस जाने का अंदेशा

बताते हैं कि कांग्रेस (Congress) खेमा दो मोर्चों पर डरा हुआ है. एक सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई और दूसरे राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा के घेराव के मसले पर.

News Nation Bureau
| Edited By :
27 Jul 2020, 10:11:29 AM (IST)

नई दिल्ली:

राजस्थान (Rajasthan) के सियासी संकट के लिहाज से सोमवार का दिन खासा अहम है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) राजस्थान विधानसभा के स्पीकर सीपी जोशी (CP Joshi) की याचिका पर सुनवाई करेगा. इस पर सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे की भी निगाहें हैं, जिनके केंद्र को भी पक्षकार बनाए जाने की याचिका स्वीकारने समेत राजस्थान हाईकोर्ट के विगत दिनों आए फैसले से हौसले बुलंद हैं. दरअसल यथास्थिति बरकरार रखने के हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) के फैसले से गहलोत खेमे को झटका लगा है. हालांकि अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने विधानसभा सत्र बुलाए जाने की मांग पर राज्यपाल कलराज मिश्रा (Kalraj Mishra) को निशाने पर लेते हुए दबाव बना रखा है. फिर भी बताते हैं कि कांग्रेस (Congress) खेमा दो मोर्चों पर डरा हुआ है. एक तो अगर वह राज्यपाल के खिलाफ सूबे में सड़कों पर उतरता है, तो कानून-व्यवस्था के नाम पर राष्ट्रपति शासन (President Rule) की सिफारिश की जा सकती है. दूसरे, सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान के जिस मामले को आधार बना कर जल्दबाजी में याचिका दायर की गई थी, हाईकोर्ट ने उसी आधार पर यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला दिया है. ऐसे में यदि सर्वोच्च न्यायालय भी कुछ वैसी ही समझ अपनाता है, तो गहलोत खेमे के हाथों से तोते उड़ जाएंगे. संभवतः इसीलिए स्पीकर सीपी जोशी सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस लेने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जल्दबाजी में दाखिल की याचिका, फैसला उलटा भी आ सकता है
एक तरह से देखें तो राजस्थान की सियासी लड़ाई अदालत के भीतर और बाहर दोनों जगह चल रही है. आज इस लड़ाई का बेहद अहम दिन है. सुप्रीम कोर्ट राजस्थान हाई कोर्ट के यथास्थिति बरकरार रखने के खिलाफ विधानसभा स्पीकर की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई करेगा. इस बीच ऐसी भी खबरें हैं स्पीकर जोशी अपनी याचिका पर यू-टर्न ले सकते हैं. कहा जा रहा है कि स्पीकर अदालत से सुनवाई बंद करने का आग्रह कर सकते हैं. कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि स्पीकर की सुप्रीम कोर्ट में जल्दबाजी में दाखिल की गई याचिका के कारण राजस्थान हाई कोर्ट को 1992 के खीटो होलहान जजमेंट का सहारा लेना पड़ा. सूत्र ने बताया कि होलोहान जजमेंट एक नजीर बन गया है और हाईकोर्ट ने इसी को ध्यान में रखते हुए स्पीकर को 19 बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोक दिया. लेकिन यह फैसला उस जजमेंट के हिसाब से नहीं है. ऐसे में यदि सुप्रीम कोर्ट भी कुछ राजस्थान हाईकोर्ट जैसा रुख अपनाता है तो अशोक गहलोत को यह निर्णय काफी भारी पड़ सकता है.

राजभवन को घेराव के खतरों से भी कांग्रेस डरी
इस बीच, राजस्थान के सियासी संकट पर राज्यपाल पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस ने राज्य में राजभवन घेरने का फैसला किया था. इसको लेकर रविवार को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक वीडियो शेयर कर देशव्यापी माहौल बनाने की कोशिश भी की. हालांकि बताते हैं कि राजभवन और उसमें रहने वाले राज्यपाल कलराज मिश्रा के घेराव के खतरे को देखते हुए कांग्रेस ने राजभवन के पास नहीं जाने का फैसला किया है. कांग्रेस सूत्रों के मुबातिक इस घेराव को आधार बनाकर राज्यपाल राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं. संभवतः इसलिए कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है.