पीएम मोदी ने भारत-चीन के संबंध सुधारने के लिए दिया 'पंचशील' मंत्र, जानिए इसका इतिहास
पीएम मोदी ने भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के तर्ज पर 'पंचशील' या पांच बिन्दुओं के एजेंडे का अपना मंत्र दिया।
highlights
- मोदी के पंचशील मंत्र में साझा नजरिया, मजबूत रिश्ते, साझा विचार, बेहतर संवाद और साझा समाधान
- साल 1954 में जवाहरलाल नेहरु ने चीन दौरे पर किया था पंचशील समझौते पर हस्ताक्षर
- आतंकवाद से निपटने और सीमा से जुड़े सभी विवादों को खत्म करने के लिए मोदी-जिनपिंग की सहमति
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ वुहान में एक महत्वपूर्ण मुलाकात को समाप्त कर शनिवार को दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
पीएम मोदी ने भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के तर्ज पर 'पंचशील' या पांच बिन्दुओं के एजेंडे का अपना मंत्र दिया।
राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ अपने अनौपचारिक बैठक में पीएम मोदी ने 'पंचशील' के जरिये दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने को लेकर कहा कि यह इन पांच बिंदुओं पर आधारित होने चाहिए- साझा नजरिया, मजबूत रिश्ते, साझा विचार, बेहतर संवाद और साझा समाधान।
पीएम मोदी ने कहा, 'अगर हम पंचशील के रास्ते पर चलते हैं तो यह विश्व शांति, स्थिरता और समृद्धि लाएगी।'
प्रधानमंत्री के इस मंत्र पर चीन के राष्ट्रपति ने हामी भरी और सहयोग के लिए पीएम मोदी की प्रस्तावित पंचशील सिद्धान्तों पर सहयोग करने को तैयार हुए और इस पर भारत से मदद भी मांगी।
यह था भारत और चीन के बीच पंचशील समझौता:
बता दें कि साल 1954 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने जब चीन का दौरा किया था तो उन्होंने एक-दूसरे देशों की संप्रभुता के सम्मान के लिए 'पंचशील' शांति संधि पर हस्ताक्षर किया था, तब चीन के सर्वोच्च नेता चाउ एनलाई थे।
1954 के मूल 'पंचशील' समझौते में पांच सिद्धांतों का जिक्र किया गया था..
- दोनों देशों के अखंडता और संप्रभुता का परस्पर सम्मान
- एक-दूसरे के बीच अनाक्रमण
- दोनों देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने की सहमति
- शांतिपूर्ण सहअस्तित्व
- परस्पर लाभ के लिए समानता और सहयोग
प्रधानमंत्री का दो दिवसीय दौरा खत्म:
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग ने अपने अनौपचारिक मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच एक ऐतिहासिक संबंध बनाने पर जोर दिया। हालांकि दोनों देशों के बीच किसी भी तरह का समझौता नहीं हुआ।
अपने दो दिवसीय दौरे के आखिरी दिन पीएम मोदी ने लिखा, 'राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भारत-चीन सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर केंद्रित रही। हमने आर्थिक संबंधों के साथ लोगों के संबंधों जोर देने को लेकर बातचीत की। इसके अलावा हमने कृषि, तकनीक, ऊर्जा और पर्यटन पर भी चर्चा की।'
साथ ही दोनों देशों ने आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई है और सीमा से जुड़े सभी विवादों को खत्म शांति के लिए पहल पर सहमति जताई है।
और पढ़ें: ...जब चीन ने पीएम मोदी से कहा- 'तू है वही, दिल ने जिसे अपना कहा'