अब LAC पर ड्रैगन को बिना हथियारों के कड़ी चुनौती देंगे भारतीय जवान, मिल रहा ऐसा प्रशिक्षण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रशिक्षण में रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह की तकनीक की मदद ली जा रही है
highlights
- रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह की तकनीक की मदद ली जा रही
- जवानों को कई तरह की मार्शल आर्ट सिखाई जा रही
- यह आर्ट जूडो, कराटे जैसी तकनीकों से जुड़ी हुई है
नई दिल्ली:
चीन से सीमा विवाद को देखते हुए एलएसी (LAC) पर भारत लगातार अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है. इसके लिए एडवांस हथियार और ट्रेनिंग का सहारा लिया जा रहा है. अब आईटीबीपी (ITBP) जवानों को मार्शल आर्ट का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इस तरह से गलवान जैसी घटना को दोबारा होने से रोका जा सकता है. 2020 में जब गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच भिड़त हुई थी, उस दौरान डंडे, कटीले पंजों का उपयोग हुआ था. जवानों को सक्षम बनाने को लेकर कई तरह की मार्शल आर्ट सिखाई जा रही है. यह आर्ट जूडो, कराटे जैसी तकनीकों से जुड़ा हुआ है. पंचकूला के बेसिक ट्रेनिंग सेंटर में तीन माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रशिक्षण में रक्षात्मक और आक्रामक दोनों तरह की तकनीक की मदद ली जा रही है.
गौरतलब है कि गलवान घाटी में हुई भिड़त के वक्त चीनी सैनिकों ने डंडे, लोहे की रॉड,कटीले तार और पत्थरों का उपयोग किया था. इस भिड़ंत में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. वहीं चीन के 40 से 45 जवानों के हताहत होने की बात कही गई. मगर चीन का दावा था कि उसके सिर्फ 4 सैनिक ही मारे गए. इस दौरान विदेशी मीडिया ने मरने वालों की संख्या 45 के आसपास बताई.
एक उच्च अधिकारी का कहना है कि इस तरह से जवानों को ऐसा प्रशिक्षण दिया जाएगा कि वे बिना हथियारों के भी इस तरह की हाथापाई के दौरान चीन सैनिकों पसीने छुड़ा दें. आईटीबीपी के आईजी के अनुसार, जवानों की शरीरिक क्षमता को बढ़ाने के साथ हिमस्खलन जैसी स्थितियों से निपटने के लिए भी यह प्रशिक्षण कारगर साबित होगा. उन्होंने कहा कि वे अधिक ऊंचाई क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा 90 दिनों के लिए जवानों को भेज पाते हैं. इसे के बाद रोटेशन किया जाता है.