प्रदूषण पर लगाम कसने की तैयारी में सरकार, नितिन गडकरी के मंत्रालय से होगी शुरुआत
नितिन गडकरी ने कहा कि यदि दिल्ली में 10 हजार इलेक्ट्रिक गाड़ियां आ जाएं तो ईंधन पर करीब 30 करोड़ रुपये महीने की बचत होगी.
highlights
- प्रदूषण पर लगाम कसने की तैयारी में सरकार
- सभी मंत्रालयों में इलेक्ट्रिक गाड़ियां अनिवार्य करने की मांग
- नितिन गडकरी अपने मंत्रालय से करेंगे शुरुआत
नई दिल्ली:
भारत में तेजी से बढ़ रहे पेट्रोल-डीजल के दाम और प्रदूषण के स्तर को देखते हुए इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड बढ़ती जा रही है. हम सभी जानते हैं कि बढ़ते प्रदूषण पर इतनी आसानी से काबू नहीं पाया जा सकता. लिहाजा, सरकार और जनता प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसी सिलसिले में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का मानना है कि दिल्ली में प्रदूषण को देखते हुए सभी सरकारी मंत्रालयों में अफसरों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अनिवार्य कर देना चाहिए. गडकरी खुद अपने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और एमएसएमई मंत्रालय से इसकी शुरुआत करने की तैयारी में हैं. उन्होंने केन्द्रीय विद्युत और ऊर्जा राज्य मंत्री आरके सिंह से भी अपने मंत्रालय में इस दिशा में कार्य करने की अपील की है.
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गडकरी ने शुक्रवार को यहां 'गो इलेक्ट्रिक' अभियान का शुभारंभ करते हुए कहा, दिल्ली में अगर 10 हजार इलेक्ट्रिक गाड़ियां आ जाएं तो ईंधन पर करीब 30 करोड़ रुपये महीने की बचत होगी. इससे दिल्ली में पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी कम होगी. सभी सरकारी अधिकारियों के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अनिवार्य किया जाना चाहिए. मैं अपने मंत्रालय में इसकी शुरुआत करूंगा. गडकरी ने 'गो इलेक्ट्रिक' राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत करते हुए कहा कि जीवाश्म ईंधन का आयात खर्च 8 लाख करोड़ रुपये है, जिसका विद्युत ईंधन एक अहम विकल्प है. पारंपरिक ईंधन की तुलना में इलेक्ट्रिक ईंधन की लागत कम होती है, इसमें उत्सर्जन कम होता है और यह स्वदेशी भी है.
केन्द्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) आरके सिंह ने स्वच्छ और सुरक्षित इलेक्ट्रिक कुकिंग के उपयोग पर भी जोर दिया और नागरिकों से इलेक्ट्रिक कुकिंग को अपनाने का आग्रह किया.
बताते चलें कि पेट्रोल और डीजल से चलने वाली गाड़ियों के मुकाबिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत काफी ज्यादा है. यही वजह है कि लोग इलेक्ट्रिक गाड़ियां खरीदने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. इसके अलावा भारत में अभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों चार्ज करने के लिए पर्याप्त चार्जिंग पॉइन्ट्स भी नहीं है.