मुंबई के मुस्लिम नेताओं, बुद्धिजीवियों ने नफरत वाले बयानों, जान लेने की धमकी की निंदा की
मुंबई के मुस्लिम नेताओं, बुद्धिजीवियों ने नफरत वाले बयानों, जान लेने की धमकी की निंदा की
मुंबई:
इंडियन मुस्लिम फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) के बैनर तले सौ से अधिक मुस्लिम नेताओं और अन्य बुद्धिजीवियों ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा के नफरत वाले बयानों और उन्हें जान से मारने की धमकियां दिए जाने की निंदा की।
आईएमएसडी ने नूपुर शर्मा के बयानों के जवाब में उनके खिलाफ चरमपंथी कृत्य किए जाने की धमकी देने के लिए आतंकी संगठन अल कायदा की भी कड़ी निंदा की है।
112 हस्ताक्षरकर्ताओं ने कहा कि भारतीय संविधान में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बिना लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और घृणा फैलाने वाले भाषण में स्पष्ट सैद्धांतिक अंतर है।
आईएमएसडी ने कहा, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में सभी प्रकार के धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं की तर्कसंगत जांच और स्वस्थ आलोचना का अधिकार शामिल है। लेकिन किसी लोकतांत्रिक देश में ईशनिंदा पर किसी भी कानून के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, इसलिए हम भारत में ईशनिंदा विरोधी कानून की मांग का स्पष्ट रूप से विरोध करते हैं।
आईएमएसडी ने भाजपा शासित राज्यों, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में बुलडोजर राज की निंदा की, जहां प्रशासन और पुलिस, न्यायाधीश, जूरी और जल्लाद के माध्यम से त्वरित न्याय का दावा किया जा रहा है। संगठन ने कहा कि यही सही समय है कि न्यायपालिका कानून के साथ इस तरह के मजाक को रोकने के लिए स्वत: संज्ञान ले।
पिछले दिसंबर में आयोजित धर्म संसद में हिंदू धार्मिक नेताओं द्वारा खुले तौर पर भारतीय मुसलमानों के नरसंहार का आह्वान किए जाने का जिक्र करते हुए आईएमएसडी ने कहा कि जेनोसाइड वॉच सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि भारत एक नरसंहार वाले रक्तपात के कगार पर है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हैं।
इसी तरह, संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने अपनी 2022 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में भारी गिरावट आ रही है, राष्ट्रीय और विभिन्न राज्य सरकारें धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ व्यापक उत्पीड़न और हिंसा को सहन कर रही हैं।
संगठन ने कहा कि मुसलमानों के उत्पीड़न का यहां एक लंबा इतिहास रहा है। पिछले 8 वर्षो में रोजाना धमकियां दी जा रही हैं, निशाना बनाकर हिंसा, अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों की सार्वजनिक रूप से हत्या और हत्याओं का जश्न मनाया गया है।
आईएमएसडी ने कहा, हिंदुत्व की हेट फैक्ट्री भारतीय मुसलमानों को बदनाम करने के लिए 24/7 काम कर रही है और एक उलझा हुआ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बहस के बहाने रोजाना कीचड़ उछालने, मौखिक युद्ध के लिए एक तैयार मंच करता है। आईएमएसडी भी इस तरह के टीवी डिबेट में भाग लेकर मुसलमानों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रहे तथाकथित इस्लामिक विद्वानों को समुदाय से बाहर करना चाहेगा।
संगठन ने कहा कि कई मुस्लिम देशों ने हाल ही में पैगंबर मोहम्मद के अपमान पर नाराजगी व्यक्त की, हालांकि वे पिछले 8 वर्षो में भारतीय मुसलमानों पर हुए बार-बार हमले और हाल ही में नरसंहार के आह्वान के बावजूद चुप रहे।
प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वालों ने सभी वर्गो से शांति और धार्मिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की और मुसलमानों से आग्रह किया कि वे इस्लाम खतरे में है वाली बयानबाजी से प्रभावित न हों।
हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल हैं : मौलाना अब्दुल हक, जावेद अख्तर, अदनान सिद्दीकी, शबाना आजमी, अफरोज पठान, आनंद पटवर्धन, तुषार गांधी, जावेद आनंद, अंजुम राजाबली, अयूब खान, तीस्ता सीतलवाड़, बिलाल खान, दिलीप शिमोन, नसीरुद्दीन शाह, फिरोज ए. खान, फिरोज मीठीबोरवाला, गुलाम रसूल देहलवी, गुड्डी तिवारी, हर्ष कपूर, जकिया सोमन, इमरान खान, इरफान इंजीनियर, मासूम रानाल्वी, मुनीरा खान, नजमा काजी, नजमा परवीन, निमेशा फाउडे, राम पुनियानी, संदीप पांडे, डॉ. सुरेश खैरनार, वर्षा विद्या विलास, यश परांजपे, जोया बेगम व अन्य।
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